उपराष्ट्रपति ने युवाओं से विकास की प्रक्रिया में शामिल होने और एक नये भारत के निर्माण की दिशा में अपनी ऊर्जा लगाने का अनुरोध किया
उपराष्ट्रपति ने युवाओं से विकास की प्रक्रिया में शामिल होने और एक नये भारत के निर्माण की दिशा में अपनी ऊर्जा लगाने का अनुरोध किया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उप राष्ट्रपति सचिवालय उपराष्ट्रपति ने युवाओं से विकास की प्रक्रिया में शामिल होने और एक नये भारत के निर्माण की दिशा में अपनी ऊर्जा लगाने का अनुरोध किया भारत को हर मोर्चे पर सशक्त बनाने में युवाओं को सबसे आगे होना चाहिए: उपराष्ट्रपति युवाओं को नकारात्मकता से दूर रहने, सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने और भारतीय सभ्यता के नैतिक मूल्यों का पालन करने की सलाह दी उच्च शिक्षा संस्थानों को उत्कृष्ट केंद्रों में विकसित करने का आह्वान किया भारतीय विश्वविद्यालयों से दुनिया की सर्वश्रेष्ठ संस्थाओं में स्थान पाने के लिए प्रयास करने को कहा नई शिक्षा नीति के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किए जाने पर खुशी व्यक्त की भारत महामारी के खिलाफ लड़ाई में अन्य देशों की तुलना में बेहतर है हैदराबाद विश्वविद्यालय में सुविधा केंद्र का उद्घाटन किया उपराष्ट्रपति, श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज युवाओं से विकास की प्रक्रिया में शामिल होने और एक नए भारत के निर्माण के वास्ते रचनात्मक गतिविधियों के लिए अपनी ऊर्जा को दिशा देने का आग्रह किया। हैदराबाद विश्वविद्यालय में एक नए ‘सुविधा केंद्र’ का उद्घाटन करते हुए उपराष्ट्रपति ने युवाओं को नकारात्मकता से दूर रहने और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ एक ऐसे नये भारत के निर्माण में संलग्न होने की सलाह दी जहां भ्रष्टाचार, भूख, शोषण और भेदभाव नहीं होगा। श्री नायडू ने राष्ट्र के एक महत्वपूर्ण मोड़ से गुजरने और कई चुनौतियों का सामना करने का जिक्र करते हुए कहा कि युवाओं को हर मोर्चे पर भारत को मजबूत बनाने में सबसे आगे रहना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने युवाओं से आग्रह किया कि वे निरक्षरता को खत्म करने, बीमारियों का मुकाबला करने, कृषि क्षेत्र में चुनौतियों का सामना करने, किसी भी रूप में भेदभाव जैसी सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने, महिलाओं पर अत्याचार और भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए पथ प्रदर्शक की भूमिका में आएं। मूल्यों में आ रही गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने युवाओं से अनुरोध किया कि वह देश की पुरातन सभ्यता के मूल्यों और लोकाचारों का अनुसरण करें। उन्होंने युवाओं से कोरोना महामारी और जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए नयी सोच और उपायों के साथ आगे आने को कहा। समग्र शिक्षा को विकास और लोगों के जीवन में बदलाव का आधार बताते हुए उपराष्ट्रपति ने 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के लिए शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधारों की वकालत की लेकिन इसके साथ ही भारतीय परंपराओं, संस्कृति और लोकाचारों को भी सहेज कर रखने का आह्वान किया। देश में तक्षशिला और नालंदा जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों का स्मरण करते हुए श्री नायडू ने कहा कि प्राचीन काल में ये संस्थान विदेशी छात्रों के लिए अध्ययन का बड़ा केन्द्र हुआ करते थे। उन्होंने इस अवसर पर हैदराबाद विश्वविद्यालय के संकाय और छात्रों से अकादमिक उत्कृष्टता प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि लोगों की अलग-अलग विचारधारा हो सकती है, लेकिन मुख्य विचारधारा "अकादमिक उत्कृष्टता" होनी चाहिए। उच्च शिक्षा संस्थानों को उत्कृष्टता के केंद्रों में विकसित करने के लिए निजी क्षेत्र सहित सभी हितधारकों से ठोस प्रयासों का आह्वान करते हुए, श्री नायडू ने अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया। विश्व के शीर्ष 200शिक्षा संस्थानों में भारत के कुछ ही शिक्षण संस्थाओं को जगह मिलने पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए श्री नायडू ने कहा कि देश के बहु-विषयक विश्वविद्यालयों को अपनी कमर कसनी चाहिए और सर्वश्रेष्ठ में से एक होने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए शिक्षा संस्थानों को नवीन अनुसंधान की संस्कृति को बढ़ावा देने, अनुसंधान समूह स्थापित करने और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में ज्ञान और नवाचार का केंद्र बनने की क्षमता को देखते हुए, रचनात्मकता, आविष्कार और उद्यम की भावना को बढ़ावा देने के लिए हैदराबाद विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों की भूमिका की सराहना की। विश्वविद्यालयों से अत्याधुनिक अनुसंधान का केंद्र बनने का आग्रह करते हुए, उन्होंने उन्हें उद्योग जगत के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित करने की सलाह दी। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि नई शिक्षा नीति देश में अनुसंधान की देख-रेख के लिए एक राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन का प्रस्ताव करती है।