नीम की दुर्लभ प्रजाति के हैं दो वृक्ष, मदर प्लांट है औषधीय गुणों से भरपूर

नीम की दुर्लभ प्रजाति के हैं दो वृक्ष, मदर प्लांट है औषधीय गुणों से भरपूर

Anita Peddulwar
Update: 2018-05-19 13:15 GMT
नीम की दुर्लभ प्रजाति के हैं दो वृक्ष, मदर प्लांट है औषधीय गुणों से भरपूर

डिजिटल डेस्क, वर्धा। नीम को तो वैसे भी औषधीय गुणों से युक्त वृक्ष माना जाता है। दुनिया में एजडिरेक्टा इंडिका प्रजाति का नीम का पेड़ हर जगह पाया जाता है। वर्धा के लेखक व मानद वाइल्ड लाइफ वार्डेन कौशल मिश्र ने राज्य के पहले नीम मदर प्लांट की खोज की है। यह नीम मदर प्लांट वर्धा जिले के हिंगण रेंज में है यहां नीम के दो अलग-अलग वृक्ष  हैं। जिससे किसानों को काफी फायदा होने की उम्मीद भी कौशल मिश्र ने जताई है।

एशिया के कुछ ही भागों में है यह वृक्ष
उल्लेखनीय है कि यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, एशिया सहित दुनियाभर में नीम वृक्ष बड़े प्रमाण में फैले हैं। दुनियाभर में नीम पेड़ की एक ही प्रजाति काफी पाई जाती है। जिसे एजडिरेक्टा इंडिका के नाम से जाना जाता है। परंतु थाईलैंड तथा एशिया के कुछ देशों में मौसम या प्राकृतिक बदलाव के कारण नीम के दो प्रजाति भी अस्तित्व में है। विदर्भ में नीम वृक्ष को लेकर अध्ययन करनेवाले कौशल मिश्र ने हिंगणी रेंज में नीम के अलग-अलग दो वृक्ष खोज निकाले हैं। एक नीम वृक्ष के पत्ते, फूल तथा फल में आंशिक अलग  है।  स्टेम व फूल आने के समय में एक माह का अंतर है। साथ ही सामान्य नीम वृक्ष के फल की तुलना में उसका आकार आधा है। हजारों की संख्या में फूल आने के बाद भी अप्रैल तक 80  फीसदी फूल झड़ जाते है। साथ ही काफी कम बीज व फल मिलते हैं जो उगते तक नहीं। 

चार गुना अधिक विशाल है दूसरा वृक्ष
दूसरा  नीम वृक्ष सामान्य नीम के वृक्ष से चार गुना अधिक बहार देनेवाला वृक्ष है। वर्धा जिले के शासकीय नर्सरी में उसके बीज जमा कर उगाए जा सकते हैं। नीम मदर प्लांट के नाम से परिचित यह वृक्ष वर्धा जिले में मिला है। जो काफी महत्वपूर्ण है। पूरे राज्य में वर्धा जिले के हिंगणी रेंज में यह पहला वृक्ष होने की जानकारी कौशल मिश्र ने दी। नीम वृक्ष में बदलाव न्यूटेशन से होकर या नीम के नए उपप्रकार वर्धा जिले में अस्तित्व में आ रहे है। जिसके लिए इस खोज का विस्तृत अध्ययन के लिए फॉरेस्ट रिसर्च इन्स्टिट्यूट, देहरादून में संकर्प कर पूरी जानकारी कौशल मिश्र ने भेजी है। जहा से सकारात्मक प्रतिसाद प्राप्त हो रहा हे। इस नीम प्रजाति का पंजीयन राज्य में नही है। इस नए प्रजाति से नीम वृक्ष लगाने में एक बदलाव हो सकता है। ऐसी जानकारी कौशल मिश्र ने दी है। 

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