विशेषज्ञों की मदद से कोरोना संकट रोकने में मिल सकती है मदद

विशेषज्ञों की मदद से कोरोना संकट रोकने में मिल सकती है मदद

Tejinder Singh
Update: 2020-03-31 11:05 GMT
विशेषज्ञों की मदद से कोरोना संकट रोकने में मिल सकती है मदद

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नीरी के वायरोलॉजिस्ट डॉ कृष्णा खैरनार और नरेद्रनाथ मेहरोत्रा जैसे जैव रसायनशास्त्र के विशेषज्ञों की मदद लेकर देश में कोरोना संकट को रोकने में मदद मिल सकती है। कोरोना के कारण हो रही जन-धन हानि को सफलतापूर्वक रोका जा सकता है। जल पुरुष के नाम से विख्यात डॉ राजेंद्र सिंह ने कहा है कि देश के जैव रसायनशास्त्री देश की स्वास्थ्य रक्षण व प्रतिरक्षण शक्ति को समझकर जल्द से जल्द कोरोना संकट को रोकने के उपयोगी उपाय सुझा सकते हैं, इनकी सेवा लेने पर तत्काल विचार करना चाहिए। डॉ सिंह ने बताया कि कोरोना परिवार के वायरस से ही वर्ष 2002 में कनाडा में हुई सार्स के दौरान कनाडा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अध्यक्ष एवं माउंट सिनाई अस्पताल के संचालक डॉ डोन लो ने इस बीमारी को कनाडा से बाहर नहीं फैलने से सफलतापूर्वक रोक लिया था। डॉ कृष्णा खैरनार वर्ष 2008 से 2012 तक डॉ डोन के निर्देेशन में न्यूमोनिया और मलेरिया पर रिसर्च कर चुके हैं। डॉ खैरनार का वह अनुभव कोरोना संकट रोकने में मददगार साबित हो सकता है।
 
कोरोना संकट से ज्यादा गंभीर था सार्स, हुई थी 802 की मौत

वर्ष 2002 में सार्स के कारण 8422 लोग प्रभावित हुए थे और 802 लोगों की मौत हुई थी। सार्स की मृत्यु दर 11 फीसदी थी। अभी कोविड 19 की मृत्यु दर उसके मुकाबले में काफी कम है। 30 मार्च तक भारत में कोरोना ग्रस्त लोगों की संख्या 1024 है जिसमें से 27 की मृत्यु हो चुकी है। दुनिया में यह आकड़ा 722350 और 33980 है।
 
मानवीय शरीर में जाते ही कर लेता है मेटाबॉलिज्म हाइजजैक

कोविड 19 का जैनेटिक मैटेरियल प्रोटीन और लिपिड कवर के अंदर होता है। मानवीय शरीर के बाहर यह सजीव नहीं होता है लेकिन जैसे ही मानव शरीर में जाता है कोशिकाओं पर आक्रमण कर मेटाबॉलिज्म को हाइजैक कर लेता है और अपने जैसे असंख्य वायरस का निर्माण करने लगता है।
 
अनुभव आ सकता है काम

डॉ कृष्णा खैरनार, नीरी के वाइरोलॉजिस्ट का कहना है कि कनाडा में डॉ डोन लो के निर्देशन में न्यूमोनिया और मलेरिया पर रिसर्च के दौरान कोरोना परिवार के वायरस पर काफी गहन अध्ययन का अवसर मिला था। कोविड 19 भी उसी परिवार का वायरस है। इस तरह के वायरसों का गहन अध्ययन फिलहाल आए संकट के रोकथाम में मददगार साबित हो सकती है।
 

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