पन्ना: रैपुरा के देवगांव में मिले पुरातनकालीन अवशेष, भगवान शिव एवं श्रीराम के मन्दिर तथा बड़े पत्थरों का घाट है मौजूद

  • रैपुरा के देवगांव में मिले पुरातनकालीन अवशेष
  • भगवान शिव एवं श्रीराम के मन्दिर तथा बड़े पत्थरों का घाट है मौजूद

Sanjana Namdev
Update: 2024-04-29 11:01 GMT

डिजिटल डेस्क, रैपुरा नि.प्र.। रैपुरा से 2 किलोमीटर दूरी पर स्थित एक तालाब के पास सैकड़ों वर्ष पूर्व के मंदिर के अवशेष मिले हैं। क्षेत्र के लोग इस तालाब को देवगांव के तालाब के नाम से जानते हैं। तालाब की मेढ़ पर पुराने दो मंदिर मौजूद हैं। तालाब पर पडऩे वाले पहले मंदिर में एक मूर्ति है जिनके एक हाथ में धनुष है और दूसरे हाथ से तुनीर से वाण निकलते हुए देखा जा सकता है। थोड़ी दूर आगे बढऩे पर मेढ़ पर ही दूसरा मंदिर है जिसमे शिवलिंग मौजूद है। मंदिर के ऊपर प्राचीन कलश का आधार है। मंदिर के मुख्य द्वार पर ऊपर की तरफ भगवान गणेश की प्रतिमा अंकित है तथा द्वार के दोनों तरफ युगल प्रतिमा है। मंदिर के बाहर कई खंडित मूर्ति भी मौजूद हैं।

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लगभग दो से तीन एकड़ में हैं मंदिर के अवशेष

देवगांव रैपुरा का कृषि क्षेत्र है जहां कई किसानों के खेत हैं। तालाब के आसपास पैदल घूमने पर झाडियों में मंडोर एवं मूर्तियों के कई अवधेश पड़े मिले। एक किसान के बच्चे ने खेत के किनारे झाडियों में हमे मूर्ति के टुकड़े दिखाए। पुरातत्व विभाग ने मूर्ति के दो हिस्सों की फोटो को देखकर बताया कि यह हनुमान जी की प्रतिमा है क्योंकि इनके पैरों के नीचे लंकिनी दबी हुई है। वहीं रैपुरा के सलैया सिमरी, इमलिया और देवगांव के मंदिरों एवं मूर्तियों में भी समानता मिली है। सभी के बारहवीं सदी के होने का अनुमान लगाया जा रहा है। देवगांव में मौजूद मूर्तियां की बनावट क्षेत्र में मौजूद दो अन्य प्राचीन मंदिरों से मिलती नजर आ रही है। इमलिया में मिले मंदिर और देवगांव के मंदिर में भगवान सूर्य की प्रतिमा में समानता देखी। वहीं सलैया सिमरी की हनुमान जी की प्रतिमा जिसमे वह लंकनी को अपने पैरो में दबाए हुए हैं वह दो हिस्सों में टूटी हुई देवगांव के खेत में पड़ी मिली। देवगांव तालाब पर बने मंदिरों के पास एक बुजुर्ग किसान भगवानदास लोधी रहते हैं। वह बताते हैं कि वह कई वर्षो से यहीं रहते हैं। रैपुरा में ही पले बढ़े हैं खेती करने के लिए बचपन से ही यहां आना जाना था कुछ वर्षो बाद यही रहने लग गए। भगवानदास कहते हैं कि उनके दादा के समय भी यह मंदिर मौजूद था। यहां रहते हैं तो मंदिर और मूर्तियों की देखभाल भी करते हैं। वह बताते हैं कि गांव से भी कुछ लोग यहां अपने पूर्वजों के मंदिर मानकर पूजने आते हैं। सलैया सिमरी में आई पुरात्व विभाग की कमिश्नर ऊषा मिश्रा को हमने यहां की फोटो दिखाई तो उन्होंने जिले के पुरातत्व प्रभारी सुलतान सिंह को सर्वे के लिए मौखिक आदेश दिया है।

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स्थान को लेकर लोगों के मत भिन्न-भिन्न

देवगांव तालाब और उसके आसपास मंदिर के अवशेषों पर लोगों के अलग-अलग मत सामने आए हैं। वहीं रह रहे भगवानदास लोधी बताते हैं कि कोई उनके बुजुर्ग बताते हैं कि वहां गौड़ शासक होने की बात उन्होंने अपने पूर्वजों से सुनी है। वहीं रैपुरा कस्बे के ही दीनदयाल शर्मा और लक्ष्मीकांत तिवारी कहते हैं कि उन्होंने बुजुर्गो से सुना था कि वहां रैपुरा पहले बसा हुआ था जिसका नाम देवगांव था। किसी महामारी की वजह से वहां से हटकर अब के रैपुरा में लोग बस गए। वहीं बडी मढिया के पास चौपाल पर बैठे कुछ बुजुर्गों से बात करने पर उन्होंने यह बताया कि हमने अपने पूर्वजों से उस क्षेत्र को देवगांव के नाम से ही सुना है।

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