पन्ना: अनाथ आदिवासी बेटियों के मददगार बनें: अरुण पाण्डेय

  • अनाथ आदिवासी बेटियों के मददगार बनें: अरुण पाण्डेय
  • सहयोग के लिए समाज सेवियों से भी की अपील

Sanjana Namdev
Update: 2024-04-29 07:34 GMT

डिजिटल डेस्क, पन्ना। देश भर में बेटियों की शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा सहित उनके अधिकारों को सुनिश्चित कर भारत व राज्य सरकारें एक ओर अभियान स्तर पर कार्यरत हैं वहीं ग्रामीण अंचलों के बहुतेरे परिवारों की बेटियां सहयोग की आस लगाए किसी फरिश्ते की बाट जोह रही हैं। ऐसा ही एक मामला है ग्राम पंचायत मढिया कला का जहां एक आदिवासी परिवार में एक-दो नहीं बल्कि तीन बेटियों के सिर पर न छत है न तन ढकने के लिए पर्याप्त कपडा न पेट भरने रोटी का इंतजाम। इस बात की खबर लगते ही ग्राम पगरा निवासी युवा समाजसेवी अरुण पाण्डेय ने परिवार कि मार्मिक परिस्थिति को सामने लाया गया है। मामला है ग्राम पंचायत मढिया कला के पूर्व सरपंच लछुआ आदिवासी के परिवार का जिनके पास रहने बिना छत का मकान एक मकान है जहां उनकी तीन अनाथ नातिनें और पत्नी के साथ रहते हैं।

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साथ रह रही तीन नातिनों में दो बच्चियां बडी बेटी की पुत्री है बडी बेटी और दमाद दोनों बेटियों को बूढे दादा के भरोसे छोडकर कहीं चले गए हैं जिनका कोई पता नहीं हैं। तीसरी नातिन छोटी बेटी की पुत्री है जिसके माता-पिता नहीं हैं और उसकी उम्र लगभग ५ वर्ष है मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं हैं। वृद्धा अवस्था में दादा लछुआ आदिवासी तीनों बच्चियों की देखरेख कर पालन-पोषण कर रहे हैं परंतु उनकी लिखाई-पढाई बंद है। परिवार के भरण पोषण के वक्त में दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से उपलब्ध हो पा रही है। समाज सेवी अरूण पाण्डेय ने बताया कि बच्चियों की जानकारी मिलने पर वह गए तो पाया कि स्थिति बहुत दयनीय है उन्होंने यथासंभव आर्थिक मदद सहित बच्चियों को कपडे की व्यवस्था की लेकिन चाहकर भी इस पूरी स्थिति को अकेले संभालते हुए सार्थकता नहीं दी जा सकती लेकिन मैं समझता हँू कि बेटियां हम सब की समाजिक जिम्मेदारियां है अत: यथासंभव सहयोग कर बच्चियों की जिन्दगी संवारनी चाहिए।

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