कथित तौर पर हाथरस मामले को लेकर 2 डॉक्टर बर्खास्त

कथित तौर पर हाथरस मामले को लेकर 2 डॉक्टर बर्खास्त

IANS News
Update: 2020-10-21 08:00 GMT
कथित तौर पर हाथरस मामले को लेकर 2 डॉक्टर बर्खास्त
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  • कथित तौर पर हाथरस मामले को लेकर 2 डॉक्टर बर्खास्त

अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश), 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (जेएनएमसी) के दो अस्थायी कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) की सेवाएं कथित तौर पर हाथरस मामले को लेकर समाप्त कर दी गई हैं।

दोनों डॉक्टरों में से एक, मोहम्मद अजीमुद्दीन मलिक ने आरोप लगाया था कि हाथरस मामले में उनकी राय उनके निष्कासन के कारणों में से एक हो सकती है। मलिक ने कहा, हमने कभी कोई बयान नहीं दिया, लेकिन हाथरस मामले में एक डॉक्टर के रूप में अपनी राय मीडियाकर्मियों को दी और जेएनएमसी से मेरे निष्कासन का यह एक कारण हो सकता है।

सरकारी अस्पताल ने हालांकि आरोपों से इनकार किया है।

मलिक ने उत्तर प्रदेश पुलिस के उस बयान का खंडन किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि दलित लड़की के शरीर पर दुष्कर्म का कोई निशान नहीं था।

उन्होंने एक बयान दिया था कि 14 सितंबर के हमले के 11 दिनों बाद नमूनों को फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (एफएसएल) में जांच के लिए ले जाए जाने का कोई मतलब नहीं बनता।

यह पुलिस के उस बयान के एकदम उलट था जिसने एफएसएल रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा था कि शरीर पर कोई सीमेन (स्पर्म) नहीं था, इसलिए कोई दुष्कर्म नहीं हुआ था।

अन्य सीएमओ जिनकी सेवाओं को समाप्त कर दिया गया, वह ओबैद इम्तियाजुल हक हैं। उन्होंने खुद को हटाए जाने के कारणों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

डॉक्टरों को मंगलवार को एक अर्जेट लेटर जारी किया गया जिसमें उनसे कहा गया कि अब उन्हें मेडिकल कॉलेज में आगे ड्यूटी नहीं करनी है। उन्हें हटाने का कारण अस्पताल प्रभारी एसएएच जैदी द्वारा जारी पत्र में नहीं बताया गया था।

मलिक ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में वाइस चांसलर को एक ज्ञापन दिया है।

रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) के अध्यक्ष मोहम्मद हमजा मलिक ने धमकी दी है कि अगर दोनों डॉक्टरों का निष्कासन रद्द नहीं किया गया तो वे हड़ताल पर चले जाएंगे।

वहीं, एएमयू के प्रवक्ता शफी किदवई ने कहा कि डॉक्टरों का निष्कासन और हाथरस मामले में कोई संबंध नहीं है।

उन्होंने कहा कि डॉक्टरों ने सेवा विस्तार के लिए एक प्रस्ताव भेजा था लेकिन इसे कुलपति द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया था, क्योंकि उनकी सेवाओं की अब आवश्यकता नहीं थी।

वीएवी-एसकेपी

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