लिफ्ट दिया फिर कोल्ड ड्रिंक में बेहोशी की दवा मिलाकर लूट लिया

लिफ्ट दिया फिर कोल्ड ड्रिंक में बेहोशी की दवा मिलाकर लूट लिया

Anita Peddulwar
Update: 2019-04-22 05:37 GMT
लिफ्ट दिया फिर कोल्ड ड्रिंक में बेहोशी की दवा मिलाकर लूट लिया

डिजिटल डेस्क, नागपुर। लिफ्ट लेना कभी-कभी बड़ा महंगा पड़ जाता है। लिफ्ट लेकर लूटे जाने की वारदात कई बार सामने आती है। बावजूद इसके लोग लिफ्ट के चक्कर में फंस जाते हैं। ऐसा ही एक वाकया शहर में उस समय सामने आया जब गोंदिया के एक युवक को  एक ‘मनोरोगी’ ने अपने साथी के साथ मिलकर  मोटर साइकिल पर लिफ्ट दी और उसे लूट लिया।  रास्ते में गाड़ी रोककर एक जगह सभी ने शीतपेय पिया। उसी दौरान युवक के गिलास में बेहोशी की दवा मिला दी। इसके बाद युवक को भांडेवाड़ी में ले जाकर पैसे निकाल लिए और उसे वहीं छोड़ दिया। स्थानीय लोगों ने युवक के घर वालों को फोन कर बुलाया, जिसके बाद पीड़ित को इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेयो) में भर्ती करवाया गया। लूटने वाले आरोपी युवक पीड़ित को मेयो अस्पताल में मिले तो मामला उजागर हो गया। जांच में सामने आया है कि  युवक को लूटने वाले ‘मनोरोगी’ का 2017 से उपचार मनोरोग विशेषज्ञ के पास चल रहा है।

यह है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार, गोंदिया निवासी एक 19 वर्षीय युवक मोर भवन पर शुक्रवार 19 अप्रैल को गोंदिया जाने का इंतजार कर रहा था। तभी बुधवारी और कलमना निवासी युवक मोटरसाइकिल से वहां पहुंचे। युवक से पूछा-कहां जाना है। उसके बताने पर कुछ दूर तक छोड़ने की बात कहकर उसे गाड़ी पर बैठा लिया। बीच रास्ते में एक जगह गाड़ी रोककर सभी ने पेय पदार्थ पिया। उस दौरान लिफ्ट देने वाले युवकों ने उस युवक को बेहोशी की दवा मिलाकर पिला दी। रास्ते में चक्कर आने से वह युवक बेहोश हो गया। तब तक वे भांडेवाड़ी पहुंच चुके थे। युवक को लूट कर दोनों फरार हो गए। 


स्थानीय लोगों ने मदद की
बाद में बेहोश पड़े युवक की तलाशी लेकर स्थानीय लोगों ने उसके घर के नंबर पर सूचना दी और उसे मेयो में भर्ती करवाया। लूटे गये युवक को अस्पताल परिसर में लूट करने वाला युवक मिल गया। हंगामा करने पर महाराष्ट्र सुरक्षा बल के जवानों ने उसे पकड़ लिया। इसके बाद युवकों को तहसील थाने ले जाया गया और देर रात तक बर्डी और तहसील थाने का विवाद चलता रहा कि यह मामला किस थाना अंतर्गत आएगा। इन सबके बीच यह पेंच फंस गया कि युवक गोंदिया का है और मजदूरी का काम करता है। इस वजह से परिजनों ने लिखकर दिया कि वह आरोपियों के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं करवाना चाहते है, क्योंकि प्रकरण दर्ज करवाने के बाद उन्हें नागपुर में सुनवाई के दौरान आना पड़ता।

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