गिरफ्तार पीएफआई-सिमी सदस्यों के निशाने पर थे पीएम मोदी- बिहार पुलिस

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया गिरफ्तार पीएफआई-सिमी सदस्यों के निशाने पर थे पीएम मोदी- बिहार पुलिस

IANS News
Update: 2022-07-14 18:00 GMT
गिरफ्तार पीएफआई-सिमी सदस्यों के निशाने पर थे पीएम मोदी- बिहार पुलिस

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सदस्यों की गिरफ्तारी की जांच कर रही बिहार पुलिस ने प्रतिबंधित संगठन सिमी का संगठन से कथित संबंध पाया है। इस सिलसिले में बिहार पुलिस अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। पुलिस ने दावा किया है कि जांच से संकेत मिलता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके निशाने पर थे। पटना पुलिस ने अतहर परवेज और मोहम्मद जलालुद्दीन को फुलवा शरीफ इलाके से गिरफ्तार किया है।

उनके कहने पर बाद में मार्गूब दानिश, अरमान मलील और शब्बीर के रूप में पहचाने गए तीन और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। वे कथित तौर पर एक आतंकी मॉड्यूल चला रहे थे और मुस्लिम युवकों का ब्रेनवॉश कर रहे थे। परवेज सिमी का सदस्य बताया जाता है, वह युवकों को ट्रेनिंग देता था।

परवेज का भाई मंजर आलम को पटना के गांधी मैदान बम विस्फोट के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था, जो 2013 में पीएम की हुंकार रैली के दौरान हुआ था। आलम बोधगया विस्फोट में भी शामिल था। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है। मोहम्मद जलालुद्दीन भी सिमी का सदस्य बताया जाता है। पुलिस ने दावा किया है कि उन्होंने पीएम की रैली के दौरान आतंकी हमले को अंजाम देने की कोशिश की थी। पुलिस ने जलालुद्दीन और परवेज के पास से सनसनीखेज दस्तावेज बरामद किए हैं, जिसमें लिखा है कि वे 2047 तक भारत को इस्लामिक स्टेट बना देंगे।

दोनों युवकों को शारीरिक प्रशिक्षण देने के बहाने पटना में उनका ब्रेनवॉश कर रहे थे। वे कथित तौर पर मुस्लिम युवकों को हिंदू समुदाय के खिलाफ भड़का रहे थे। पटना के एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लो के कहने के बाद एक नया विवाद भी सामने आया है कि गिरफ्तार आरोपी आरएसएस की तरह ट्रेनिंग कैंप चला रहे हैं।

इसने देशव्यापी विवाद खड़ा कर दिया है और भाजपा ने माफी की मांग की है। भाजपा ने कहा है कि आईपीएस अधिकारी को इस्तीफा देकर राजनीति में आना चाहिए। सूत्रों ने कहा है कि एनआईए भी पूरे मामले पर करीब से नजर रखे हुए है और जांच शुरू कर दी है। हालांकि एनआईए ने कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन संभावना है कि आने वाले दिनों में मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी को स्थानांतरित किया जा सकता है। पीएफआई ने कहा है कि उसने कभी कोई आपत्तिजनक दस्तावेज प्रकाशित नहीं किया और कहा कि चीजें लगाई जा रही हैं।

सोर्स: आईएएनएस

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