Chaitra Purnima 2024: कल है चैत्र पूर्णिमा? जानें महत्व और पूजा विधि

Manmohan Prajapati
Update: 2024-04-22 07:56 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। पूर्णिमा को चंद्रमास भी कहा जाता है। इस दिन चंद्रमा अपने पूरे रूप में दिखाई देता है। पूर्णिमा का धार्मिक रूप से अत्यधिक महत्व है। हिंदू धर्म में यह दिन विशेष महत्व रखता है। हिंदू वर्ष के अनुसार चैत्र पूर्णिमा साल की पहली पूर्णिमा होती है, इसलिए इसका विशेष महत्व होता है। इस दिन पूर्णिमा का उपवास भी रखा जाता है और विधि-विधान से पूजा भी की जाती है।

चैत्र मास की पूर्णिमा इसलिए भी खास होती है क्योंकि इस दिन देशभर में हनुमान जयंती भी मनाई जाती है। चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के उपासक भगवान सत्यनारायम की पूजा करते है। माना जाता है कि आज के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं।

शुभ मुहूर्त

चैत्र पूर्णिमा आरम्भ: 23 अप्रैल, प्रातः 3: 26 मिनट से

चैत्र पूर्णिमा समाप्त: 24 अप्रैल, प्रातः 5: 19 मिनट पर

उदया तिथि में पूर्णिमा 23 तारीख को होने के चलते पूर्णिमा का व्रत मंगलवार को ही रखा जाएगा।

पूर्णिमा का महत्व

प्रत्येक पूर्णिमा का अपना एक अलग ही महत्व होता है। बारह महीनों में पूर्णिमा के अवसर पर त्यौहार मनाए जाते हैं। पूर्णिमा के दिन आसमान में पूरा चन्द्रमा दिखाई देता है जो कि अंधेरे को खत्म करने का प्रतीक है। इस दिन विशेष रूप से भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है मान्यता है कि इस दिन बहुत से भगवान मानव रूप में अवतरित हुए थे। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से भी कुंडली के दोष दूर होते हैं पुण्य मिलता है।

क्या है व्रत का विधान

हिंदू धर्म में हर व्रत और उपवास विधि-विधान से किया जाता है जिससे उसका शुभ फल प्राप्त होता है। चैत्र पूर्णिमा भी शुभ फल देने वाली है यदि विधि-विधान के साथ इसका व्रत रखा जाए।

चैत्र पूर्णिमा के दिन सुबह सबसे पहले स्नानादि कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इस दिन रात के समय चंद्रमा की विधि-विधान से पूजा करना चाहिए। पूजा के समय मंत्रों का जाप करना चाहिए। इसके बाद चंद्रमा को जल अर्पित कर, अन्न से भरे घड़े को किसी ब्राह्मण या फिर किसी गरीब जरूरतमंद को दान कर देना चाहिए। ऐसा करने से चंद्र देव प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

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