अपनी परछाई से इस तरह जानें चल रहा है काैन सा प्रहर...

अपनी परछाई से इस तरह जानें चल रहा है काैन सा प्रहर...

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-24 03:20 GMT
अपनी परछाई से इस तरह जानें चल रहा है काैन सा प्रहर...

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रहर अर्थात दिन या रात्रि के चार.चार बराबर भाग। हिन्दू  धर्म की मान्यताओं के अनुसार दिन-रात मिलाकर 24 घंटे में 8 प्रहर होते हैं। प्रत्येक प्रहर का समय 3 घंटे से कुछ मिनट कम या अधिक हो सकता है। भारतीय शास्त्रीय संगीत का आधार भी यही प्रहर बताए गए हैं। जिनके आधार पर राग भैरव राग मल्हार आदि गानें का समय निर्धारित है। यहां हम आपको प्रहर से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां देने जा रहे हैं। जिनसे आए दिन ही रू-ब-रू होते हैं, लेकिन आमतौर पर उनके बारे में जानते नही हैं दिन में कौन सा प्रहर है इसके जरिए आसानी से जाना जा सकता है... 

 

-अगर आप धूप में दक्षिण दिशा के सामने मुंह करके खड़े हो और आपकी परछाई दाई ओर आपकी ऊंचाई से अधिक हो तो पहला प्रहर।
-परछाई दाई ओर आपकी ऊंचाई के बराबर तो दूसरा प्रहर आरंभ।
-परछाई दाई ओर आपकी ऊंचाई से छोटी तो दूसरा प्रहर।
-परछाई दाई या बाई ओर न पड़कर आपके आगे या पीछे आपके ठीक नीचे ही पड़ती हो तो मध्यान्ह का समय। दूसरा प्रहर पूरा होकर तीसरा शुरू।
-परछाई बाई ओर आपकी ऊंचाई से छोटी तो तीसरा प्रहर।
-परछाई बाई ओर आपकी ऊंचाई के बराबर तो तीसरा प्रहर पूरा होकर चौथा प्रहर शुरू।
-परछाई बाई ओर आपकी ऊंचाई से अधिक लंबी तो चौथा प्रहर

 

पूर्वान्ह व उषाकाल

शाम अर्थात संध्या जिसे सूर्यदेव की पत्नी माना जाता है। दिन और रात के मिलन के समय को ही संध्या कहा जाता है। संध्यावंदन का भी समय निर्धारित है जो कि मुख्यतः दो प्रहर में ही होती है। पूर्वान्ह व उषाकाल। ये समय पूजन का होता है जबकि शास्त्रों के अनुसार दिन और रात्रि के समय 12 से 4 बजे की बीच भगवान की आरती करना, प्रार्थना वर्जित माना गया है। 
 

नोट:  स्वयं की ऊंचाई जितनी लम्बी परछाई को पौरुष कहते हैं और उस समय को पोरिसी कहते हैं। 
(पंचांग से साभार)

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