गुप्त नवरात्रि 2021: दूसरे दिन करें मां महाविद्या तारा देवी की पूजा, कष्टों से मिलेगी मुक्ति

गुप्त नवरात्रि 2021: दूसरे दिन करें मां महाविद्या तारा देवी की पूजा, कष्टों से मिलेगी मुक्ति

Manmohan Prajapati
Update: 2021-07-12 10:07 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मां दुर्गा की भक्ति के पर्व को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। हालांकि बहुत कम लोग ही जानते हैं कि, वर्ष में चार नवरात्रि आती हैं। इनमें से अधिकांश लोगों को चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रों के बारे में जानकारी होती है। लेकिन इसके अलावा दो और भी नवरात्रि हैं जिनमे विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है।इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्रि कहते हैं। गुप्त नवरात्रि इस बार 11 जुलाई से शुरू हो चुकी हैं। वहीं दूसरे दिन मां महाविद्या तारा देवी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि देवी के इस रूप की आराधना से सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है।

माना जाता है कि नवरात्र में मां भगवती के नौ रूपों की भक्ति करने से हर मनोकामना पूरी होती है। वहीं इन दिनों में कन्या पूजन का अत्यधिक महत्व बताया गया है। कुछ लोग नवरात्रि के दिनोंं में कन्या भोज व पूजन कराते हैं, वहीं कई नवरात्रि के आखिरी दिन यानि की महानवमी पर कन्या पूजन करते हैं। हालांकि शास्‍त्रों के अनुसार कन्‍या पूजन के लिए दुर्गाष्‍टमी का दिन सबसे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण और शुभ माना गया है। 

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नवरात्रि के बारे में जानें
देवी पुराण के अनुसार एक वर्ष में चार माह नवरात्र के लिए निश्चित हैं। वर्ष के प्रथम महीने अर्थात चैत्र में प्रथम नवरात्रि होती है। चौथे माह आषाढ़ में दूसरी गुप्त नवरात्रि होती है। इसके बाद अश्विन मास में तीसरी और प्रमुख नवरात्रि होती है। इसी प्रकार वर्ष के ग्यारहवें महीने अर्थात् शुक्ल पक्ष माघ में चौथी गुप्त नवरात्रि का महोत्सव मनाने का उल्लेख एवं विधान देवी भागवत तथा अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।

गुप्त नवरात्रि की पूजा
पंडित और ज्योतिष के अनुसार गुप्त नवरात्रि की पूजा भी अन्य नवरात्रि की तरह ही करना चाहिए। प्रतिपदा के दिन सुबह-शाम दोनों समय मां दुर्गा की पूजा की जाती है। जबकि अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन कर व्रत का उद्यापन किया जाता है। इन नौ दिनों तक प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से भी विशेष फल मिलता है।

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गुप्त नवरात्रि के समय जो पूजा की जाती है वो किसी गुप्त स्थान में या किसी सिद्धस्त श्मसान में ही की जाती है। क्योंकि इस तरह की साधना के समय जिस तरह की शांति की आवश्यक होती है वो सिर्फ श्मसान में ही मिल सकती है। यहां साधक पूरी एकाग्रता के साथ अपनी साधनाएं संपन्न कर पाता है। वैसे कहा जाता है कि भारत में चार ऐसे श्मसान घाट हैं जहां तंत्र क्रियाओं का परिणाम बहुत जल्दी मिलता है। जिसमें असम के कामाख्या पीठ का श्मसान, पश्चिम बंगाल स्थित तारापीठ का श्मसान, नासिक और उज्जैन स्थित चक्रतीर्थ श्मसान का नाम बहुत विशेष है।

Video source: Sanskar Ki Baatein

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