संत रविदास जयंती : इनकी भेंट लेने स्वयं प्रकट हो गईं थीं मां गंगा

संत रविदास जयंती : इनकी भेंट लेने स्वयं प्रकट हो गईं थीं मां गंगा

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-17 03:10 GMT
संत रविदास जयंती : इनकी भेंट लेने स्वयं प्रकट हो गईं थीं मां गंगा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इनके बारे में कथा प्रचलित है कि खुद गंगा मां इनकी सत्यता और निष्ठा को साबित करने के लिए एक कठौती में प्रकट हो गईं थीं। वैसे तो इस संत को लेकर अनेक किस्से प्रचलित हैं, लेकिन यह किस्सा सबसे ज्यादा मान्यता प्राप्त हैे। यहां हम बात कर रहे हैं संत रविदास की। जिनकी जयंती 31 जनवरी 2018 को मनायी जाएगी। 

 

विद्वान इन्हें मीराबाई का गुरू भी मानते हैं। रविदास का जन्म 1388 को बनारस में हुआ था।  संत रविदास रैदास कबीर के समकालीन हैं। ऐसा बताया जाता है कि संत रविदास बेहद गरीब परिवार से थे, किंतु उनके हृदय में ईश्वर के प्रति अनन्य आस्था थी। एक बार एक ब्राम्हण गंगा मां के दर्शनों के लिए जा रहा था। उन्हें इसका पता चला, गरीबी के कारण वे जा नही सकते थे, किंतु उन्होंने अपनी मेहनत से कमाया हुआ एक सिक्का माता के पास भेजा और कहा, ये मेरी ओर से मां गंगा को भेंट कर देना।

 

अपने हाथों में ग्रहण कर लिया

ब्राम्हण ने सिक्का लिया और चला गया, किंतु वह सिक्का गंगा मां को अर्पित करना भूल गया। इस पर रास्ते में उसे बेचैनी होने लगी, उसे लगा वह कुछ भूल गया है, किंतु क्या उसे स्मरण नही रहा। इस पर वह पुनः गंगा तट पर बैठा और स्मरण करने लगा। जैसे ही उसे याद आया उसने रैदास का सिक्का मां गंगा को अर्पित करने के लिए हाथ बढ़ाया, किंतु इससे पहले कि वह सिक्का अर्पित करता मां गंगा स्वयं प्रकट हो गईं और उसे सिक्के को अपने हाथों में ग्रहण कर लिया। रैदास का यह किस्सा जगजाहिर हुआ और लोग उनके भक्त बनने लगे। 

 

यह भी किस्सा है प्रचलित

ऐसा भी बताया जाता है कि एक बार काशी के राजा ने ईश्वर के सच्चे भक्त को परखने के लिए गंगा नदी में भगवान की मूर्ति तैरने की शर्त रखी उन्होंने कहा, जिसकी मूर्ति नही डूबेगी वही सच्चा भक्त माना जाएगा। एक ब्राम्हण और रैदास दोनों ने मूर्तियां गंगा में उतारीं किंतु ब्राम्हण की मूर्ति डूब गई और रैदास की तैरने लगी।
 

Similar News