Vaman Dwadashi 2024: विष्णुजी की कृपा के लिए करें पूजा, जानिए कथा और इस दिन का महत्व

  • वामन जयंती का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है
  • इस दिन श्री हरि ने वामन देव के रूप में जन्म लिया था
  • भक्त श्रद्धा-भक्तिपूर्वक भगवान वामन की पूजा करते हैं

Manmohan Prajapati
Update: 2024-04-19 09:38 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। वामन द्वादशी (Vaman Dwadashi) या वामन जयंती (Vaman Jayanti) प्रति वर्ष 2 बार मनाई जाती है। एक चैत्र माह की शुक्ल द्वादशी तिथि को और दूसरी बार भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, ये अवतार विष्णु जी का मनुष्य रूप में पहला अवतार था। इस दिन श्री हरि विष्णु जी ने वामन अवतार या वामन देव के रूप में जन्म लिया था।

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, साल 2024 में वामन द्वादशी का व्रत रविवार 20 अप्रैल 2024 को पड़ रहा है। ऐसा माना जाता है कि, इस दिन जो भक्त श्रद्धा-भक्तिपूर्वक भगवान वामन की पूजा करते हैं, उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। भक्तों को इस दिन उपवास रखकर भगवान वामन की स्वर्ण प्रतिमा बनवा कर पंचोपचार करना चाहिए और विधि-विधान से भगवान विष्णु के इस स्वरूप का पूजन करना चाहिए।

शास्त्रानुसार कथा

एक बार जब दैत्यराज बलि ने इंद्र को परास्त कर स्वर्ग पर आधिपत्य कर लिया था। तब पराजित इंद्र की दयनीय स्थिति को देखकर उनकी माता अदिति बहुत दुखी हुईं। तब उन्होंने अपने पुत्र के उद्धार के लिए विष्णु की आराधना की। तब उनकी आराधना से प्रसन्न होकर विष्णु जी प्रकट हुए और बोले- देवी! व्याकुल मत हो मैं तुम्हारे ही पुत्र के रूप में जन्म लेकर इंद्र को उनका हारा हुआ राज्य दिलाऊंगा। तब समय आने पर उन्होंने अदिति के गर्भ से जन्म लेकर वामन के रूप में अवतार लिया। तब उनके ब्रह्मचारी रूप को देखकर सभी देवता और ऋषि-मुनि आनंदित हो उठे।

जब राजा बलि ने स्वर्ग पर अपना स्थायी अधिकार प्राप्त करने के लिए अश्वमेध यज्ञ किया तब यह सूचना जानकर वामन देव वहां पहुंचे गए। उनके तेज से यज्ञशाला स्वतः प्रकाशित हो उठी। बलि ने उन्हें एक उच्च आसन पर बिठाकर उनका आदर सत्कार किया और अंत में राजा बली ने वामन देव से मनचाही भेंट मांगने को कहा।

इस पर वामन चुप रहे, लेकिन जब राजा बलि उनसे बार-बार अनुरोध करने लग गया तो उन्होंने अपने कदमों के बराबर तीन पग भूमि भेंट में देने को कहा। तब राजा बलि ने उनसे और अधिक कुछ मांगने का आग्रह किया, लेकिन वामन देव अपनी बात पर अड़े रहे।

तब राजा बलि ने अपने दायें हाथ में जल लेकर तीन पग भूमि देने का संकल्प ले लिया। जैसे ही संकल्प पूरा हुआ वैसे ही वामन देव का आकार बढ़ने लगा और वे बोने वामन से विराट वामन हो गए। तब उन्होंने अपने एक पग से पृथ्वी और अपने दूसरे पैर से स्वर्ग को नाप लिया। तीसरे पग के लिए तो कुछ बचा ही नहीं तब राजा बलि ने तीसरे पग को रखने के लिए अपना मस्तक आगे कर दिया।

राजा बली बोले- हे प्रभु, सम्पत्ति का स्वामी सम्पत्ति से बड़ा होता है। आप तीसरा पग मेरे मस्तक पर रख दो। सब कुछ दान कर चुके बलि को अपने वचन से न फिरते देख वामन देव प्रसन्न हो गए। तब बाद में उन्हें पाताल का अधिपति बनाकर देवताओं को उनके भय से मुक्त कराया।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

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