सुप्रीम कोर्ट ने एग्जाम रद्द करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज किया, CBSE और ICSE की असेसमेंट स्कीम को मंजूरी दी
सुप्रीम कोर्ट ने एग्जाम रद्द करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज किया, CBSE और ICSE की असेसमेंट स्कीम को मंजूरी दी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) और काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। कोविड-19 महामारी के कारण बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला किया गया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने छात्रों के परीक्षा पैटर्न का मूल्यांकन करने के लिए बोर्ड की ओर से लाई गई इवैल्यूएशन स्कीम को भी आगे बढ़ाने की भी अनुमति दे दी है।
कक्षा 12 के छात्रों के लिए अंकों की गणना के लिए सीबीएसई और आईसीएसई द्वारा तैयार की गई मूल्यांकन नीतियों पर कोर्ट ने कहा, "हमारा मानना है कि सीबीएसई और आईसीएसई द्वारा प्रस्तावित योजना में हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है। यह सभी छात्रों की चिंताओं को ध्यान में रखता है।" वहीं परीक्षा रद्द करने को चुनौती देने वाली याचिका के संबंध में कोर्ट ने कहा, बोर्ड ने हाईएस्ट लेवल पर एक कॉन्शियस निर्णय लिया है और व्यापक जनहित में लिया है।
जब याचिकाकर्ता अंशुल गुप्ता ने पूछा कि IIT-JEE या CLAT जैसी प्रतियोगी परीक्षाएं फिजिकली आयोजित की जा सकती हैं, तो बोर्ड परीक्षाएं रद्द क्यों करनी पड़ी? इस पर अदालत ने कहा कि हर बोर्ड के अपने नियम कायदे हैं और वे अपने हिसाब से पॉलिसी तय करने का अधिकार रखते हैं। कोर्ट ने कहा, प्रत्येक बोर्ड अलग है और लॉजिस्टिक की जरूरतें अलग हैं। प्रत्येक परीक्षा स्वतंत्र परीक्षा है। बोर्ड को वह फैसला लेना है... किसी की व्यक्तिगत धारणा इस मामले का फैसला नहीं करेगी।
याचिका को खारिज करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हमारी राय में अंशुल गुप्ता के सबमिशन को एक्सेप्ट करना संभव नहीं है। चूंकि अन्य संस्थान परीक्षा आयोजित करने में सक्षम हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि बोर्ड परीक्षा आयोजित कर सकते हैं। बोर्ड ने जनहित में परीक्षा रद्द करने का फैसला किया है।
सीबीएसई की मूल्यांकन नीति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करने वाले उत्तर प्रदेश पैरेंट्स एसोसिएशन, लखनऊ की ओर से पेश सीनियर काउंसेल विकास सिंह ने कहा, छात्रों को फिजिकली परीक्षा में बैठने का विकल्प दिया जाना चाहिए। इस पर, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "इस याचिका पर विचार करने से अनिश्चितता पैदा होगी जब तक कि इम्प्रोवाइजेशन परीक्षा आयोजित नहीं की जाती। 31 जुलाई को परिणाम घोषित होने के बाद इम्प्रोवाइजेशन परीक्षा का विकल्प चुना जा सकता है।
कोर्ट ने सीबीएसई के ऑफलाइन परीक्षा आयोजित करने के फैसले के खिलाफ प्राइवेट और कम्पार्टमेंट के छात्रों की याचिका को भी खारिज कर दिया। याचिका में कहा गया है कि सीबीएसई का निर्णय कक्षा 10 और 12 के निजी/पत्राचार/द्वितीय अवसर के उम्मीदवारों के साथ असमान व्यवहार के बराबर है क्योंकि सीबीएसई द्वारा नियमित छात्रों के लिए बोर्ड परीक्षा रद्द कर दी गई है। निजी/पत्राचार/द्वितीय अवसर वाले कम्पार्टमेंट के उम्मीदवारों को ऑनलाइन परीक्षाओं के लिए अपील करने के लिए मजबूर करके, सीबीएसई उनकी जान जोखिम में डाल रहा है।
कंपार्टमेंट के छात्रों की ओर से पेश अधिवक्ता अभिषेक चौधरी ने कहा कि सीबीएसई 15 अगस्त से 15 सितंबर के बीच परीक्षा आयोजित करने की योजना बना रहा है, हालांकि ऐसी खबरें हैं कि सितंबर में कोविड की तीसरी लहर हो सकती है। इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि कंपार्टमेंट परीक्षा “कोविड के कम होते ही” आयोजित की जाएगी। अदालत ने यह कहते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया कि वर्तमान योजना कहती है कि परीक्षा आयोजित की जाएगी जहां ऐसे सभी उम्मीदवार निजी उम्मीदवारों के रूप में उपस्थित हो सकते हैं और परीक्षाएं 15 अगस्त से 15 सितंबर तक होंगी और परिणाम जल्द से जल्द होंगे ताकि ये छात्र अपना करियर बना सकें।