जानिए क्या है अमेरिका में मिले शिवलिंग का सच, वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से हो रहा वायरल

फर्जी खबर जानिए क्या है अमेरिका में मिले शिवलिंग का सच, वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से हो रहा वायरल

Anupam Tiwari
Update: 2022-05-18 16:48 GMT
जानिए क्या है अमेरिका में मिले शिवलिंग का सच, वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से हो रहा वायरल

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर इस समय एक वीडियो बड़ी तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें अमेरिका के एक पार्क में स्थापित शिवलिंग को लोग पूजते हुए दिख रहे हैं। दरअसल, ये वीडियो अभी का नहीं बल्कि 29 साल पुराना है, जो एक अमेरिकी न्यूज चैनल की रिपोर्टिंग का है। चलिए जानते हैं पार्क में पूजे जाने वाले इस शिवलिंग का सच क्या है। 

1993 में दिखा शिवलिंग

शिवलिंग का जो वीडियो वायरल हो रहा है, वह 1993 का है। जो कि अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन की रिपोर्टिंग का है। यह रिपोर्टिंग इसी शिवलिंग पर की गई थी। इसमें बताया गया था कि, सैन फ्रांसिस्कों के गोल्डन गेट पार्क में एक 4 फीट ऊंचा पत्थर है, जिसका पूजन लोगों द्वारा किया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार शिवलिंग की पूजा करने के लोग काफी लंबी दूरी तय करके भी आ रहे हैं। वीडियो में चैनल के एंकर बर्नार्ड शॉ दिख रहे हैं। 

मंदिर बनाने की होने लगी डिमांड

जब शिवलिंग की प्रसिद्धी अमेरिका में रहने वाले पूरे हिन्दू समुदाय तक पहुंच गई, तो यहां भारी संख्या में दर्शनार्थी पहुंचने लगे। लोगों द्वारा यहां योगा और मेडिटेशन भी किया जाने लगा। शिवलिंग पर जल, दूध और भभूति चढ़ाई जानी लगी। इससे पूरा माहौल धार्मिक हो गया। कुछ समय बाद ही कुछ लोगों द्वारा यहां मंदिर बनाने की मांग की जाने लगी, जिसे खारिज कर दिया गया था।

सच्चाई आई सामने

इस कथित शिवलिंग को लेकर न्यूयार्क टाइम्स अखबार में साल 1994 में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई। जिसमें बताया गया कि यह 4 फीट ऊंचा और बुलेट के आकार का पत्थर था, जो शिवलिंग जैसा लगता था। इसे एक सिटी क्रेन ऑपरेटर के द्वारा कुछ साल पहले पार्क में रखा गया था। हिंदुओं ने इसे देखा और शिवलिंग समझ कर पूजा करने लगे। रिपोर्ट के अनुसार प्रशासन ने बाद में इस पत्थर को पार्क से हटवाकर एक आर्टिस्ट के स्टूडियो में रखवा दिया। 

फैसले को दी चुनौती

पत्थर को पार्क से हटाने के फैसले के खिलाफ एक आर्टिस्ट माइकल बोवेन जिनका हिंदू नाम कालिदास था, वह सामने आए। उन्होंने इस फैसले के खिलाफ मुकदमा दायर करवाया। लेकिन कोर्ट ने उन पर इसके लिए 14 हजार डॉलर का जुर्माना लगा दिया। साथ ही जहां पर पत्थर था, वहां भिखारियों और रोड पर रहने वाले लोगों की भीड़ लगने लगी। इसके बाद बोवेन ने पत्थर को पार्क से हटाने के फैसले को स्वीकार कर लिया। 
जिसके बाद पार्क से पत्थर को हटाकर क्रेन ऑपरेटर ने दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया।   

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