Coronavirus: क्या अजीम प्रेमजी की कोरोना से लड़ाई के लिए 50,000 करोड़ रुपए के दान की खबर झूठी है?

Coronavirus: क्या अजीम प्रेमजी की कोरोना से लड़ाई के लिए 50,000 करोड़ रुपए के दान की खबर झूठी है?

Bhaskar Hindi
Update: 2020-03-27 17:49 GMT
Coronavirus: क्या अजीम प्रेमजी की कोरोना से लड़ाई के लिए 50,000 करोड़ रुपए के दान की खबर झूठी है?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। टेक की दिग्गज कंपनी विप्रो ने स्पष्ट किया है कि संस्थापक अजीम प्रेमजी ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए 50,000 करोड़ रुपये के दान की खबरें गलत है। विप्रो ने बताया कि करीब एक साल पहले मार्च 2019 में उन्होंने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के लिए 52750 करोड़ रुपये दान किया था। इसी खबर को सोशल मीडिया पर कोरोना से जोड़कर वायरल किया जा रहा है।

सचिन ने दिया 50 लाख रुपए का दान
बता दें कि भारत में भी कोरोनावायरस तेजी से फैल रहा है। अब तक 700 से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं। जबकि 21 लोगों की इस वायरस से जान जा चुकी है। एसे में मदद के लिए कई लोग आगे आ रहे हैं। चैम्पियन बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने भी इस महामारी से निपटने के लिए 50 लाख रुपये दान दिए हैं।

बीसीसीआई अध्यक्ष और पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने भी 50 लाख रुपये के चावल गरीबों में बांटने का ऐलान किया था। उधर, शटलर पीवी सिंधु ने भी गुरुवार को 10 लाख रुपये की मदद की। इस ओलंपिक मेडलिस्ट ने तेलंगाना और आंध्रप्रदेश सरकार को पांच-पांच लाख रुपये दान में दिए हैं।

युसूफ और इरफान पठान ने बड़ौदा पुलिस और स्वास्थ्य विभाग को 4000 फेसमास्क दिए हैं जबकि महेंद्र सिंह धोनी ने पुणे में एक चैरिटी के जरिए एक लाख रुपये दिए हैं। पहलवान बजरंग पूनिया और फर्राटा धाविका हिमा दास ने अपना वेतन देने का ऐलान किया है।

वायरस की फैमिली है कोरोनावायरस
कोरोनावायरस किसी एक इकलौते वायरस का नाम नहीं है। यह वायरस की एक पूरी फैमिली है। इस वायरस का इंटरेस्टिंग फैक्ट ये हैं कि आपको जो सर्दी जुखाम होता है वो भी एक तरह का कोरोनावायरस है। 2002-2003 में सार्स वायरस फैला था, वो भी एक तरह का कोरोनावायरस था। अभी जो वायरस लोगों को संक्रमित कर रहा है वो भी एक तरह का कोरनावायरस है।

31 दिसंबर 2019 को ये चीन के शहर वुहान में पाया गया था। नए कोरनावायरस का नाम N-COV रखा गया है, यानी नोवल कोरोनावायरस। नोवल का मतलब होता है नया। ये वायरस इतना नया है कि चीन इसका नाम भी नहीं सोच पाया था और इसका नाम N-COV रख दिया। हालांकि बाद में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने इसका नाम COVID-19 रखा।

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