वायरस: जीका वायरस से बचाव के लिए 'निडिल फ्री वैक्सीन पैच'
लोगों को घातक मच्छर जनित जीका वायरस से बचाने के लिए 'निडिल फ्री वैक्सीन पैच' विकसित किया जा रहा है
डिजिटल डेस्क, सिडनी। लोगों को घातक मच्छर जनित जीका वायरस से बचाने के लिए 'निडिल फ्री वैक्सीन पैच' विकसित किया जा रहा है। जो लगाने में भी आसान होगा। जीका वायरस प्रशांत, दक्षिण पूर्व एशिया, भारत, अफ्रीका और दक्षिण और मध्य अमेरिका में लोगों के लिए खतरा रहा है। क्वींसलैंड और एडिलेड के ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने उच्च-घनत्व माइक्रोएरे पैच (एचडी-एमएपी) का उपयोग कर वैक्सीन का प्रोटोटाइप विकसित किया, जिसका वैक्सएक्सस दवा कंपनी द्वारा व्यवसायीकरण किया गया था। एचडी-एमएपी हजारों छोटे सूक्ष्म प्रक्षेपणों के साथ त्वचा की सतह के नीचे प्रतिरक्षा कोशिकाओं तक वैक्सीन पहुंचाता है।
एडिलेड विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर ब्रांका ग्रुबोर बाउक ने कहा, ''यह टीका अद्वितीय है क्योंकि यह वायरस के बाहर के बजाय अंदर एक प्रोटीन को लक्षित करता है जिसका अर्थ है कि यह टीका लगाने वाले लोगों में डेंगू बुखार जैसे निकट से संबंधित वायरस के लक्षणों को नहीं बढ़ाएगा।''
वैक्सएक्सस के शोधकर्ता डॉ. दनुष्का विजेसुंदरा ने कहा, "हम एचडी-एमएपी पैच के साथ जीका वायरस से लड़ने के तरीके को बदल सकते हैं। यह एक प्रभावी, दर्द रहित, लगाने में आसान और स्टोर करने में आसान टीकाकरण विधि है।" विजेसुंदरा ने कहा, मॉलिक्यूलर थेरेपी न्यूक्लिक एसिड जर्नल में प्रकाशित प्री-क्लिनिकल परीक्षण में वैक्सीन ने जीवित जीका वायरस के खिलाफ तेजी से सुरक्षा प्रदान की। एनएस 1 नामक एक विशिष्ट प्रोटीन को लक्षित किया, जो वायरस के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है।''
शोधकर्ताओं ने कहा कि वैक्सीन पैच ने टी-सेल प्रतिक्रियाएं भी उत्पन्न कीं जो सुई या सिरिंज वैक्सीन डिलीवरी की तुलना में लगभग 270 प्रतिशत अधिक थीं। क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ केमिस्ट्री एंड मॉलिक्यूलर बायोसाइंसेज के डॉ. डेविड मुलर ने कहा कि माइक्रोएरे पैच और वैक्सीन में जीका वायरस से बचाने की क्षमता से परे लाभ हो सकते हैं। मुलर ने कहा, "क्योंकि जिस प्रोटीन को हम लक्षित कर रहे हैं वह फ्लेविवायरस नामक वायरस परिवार में प्रतिकृति बनाने में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है, इसलिए डेंगू या जापानी एन्सेफलाइटिस जैसे अन्य फ्लेविवायरस को लक्षित करने के लिए हमारे दृष्टिकोण को लागू करने की क्षमता है।"
आगे कहा, ''एचडी एमएपी डिलीवरी प्लेटफॉर्म का एक प्रमुख लाभ ऊंचे तापमान पर वैक्सीन की स्थिरता है। हमने पाया कि पैच को चार सप्ताह तक 40 डिग्री सेल्सियस पर संग्रहीत करने पर वैक्सीन की क्षमता बरकरार रहती है।'' मुलर ने कहा, "इससे निम्न और मध्यम आय वाले देशों में टीकों की पहुंच बढ़ जाती है जहां मौसम चुनौतीपूर्ण है।"
--आईएएनएस
अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|