जलवायु परिवर्तन: कोपेनहेगन मंत्रिस्तरीय बैठक में सीओपी29 के लिए प्राथमिकताएं तय करेंगे जलवायु नेता

  • 2030 तक जीवाश्म ईंधन की मांग अधिक
  • संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के संबंध में चर्चा करेंगे
  • सीओपी 29 से पहले वित्त की बड़ी चुनौती

ANAND VANI
Update: 2024-03-20 12:21 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अजरबैजान में आयोजित होने वाले अगले संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन की प्राथमिकताओं पर जलवायु नेता और मंत्री गुरुवार को कोपेनहेगन में चर्चा करेंगे। पिछले दिसंबर में सीओपी28 के बाद पहली बड़ी जलवायु बैठक में ये नेता संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के संबंध में चर्चा करेंगे। बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता सीओपी28 के अध्यक्ष सुल्तान अल-जाबेर के साथ-साथ सीओपी29 के मनोनीत अध्यक्ष मुख्तार बाबायेव और डेनमार्क के विकास सहयोग और वैश्विक जलवायु नीति मंत्री, डैन जोर्गेंसन करेंगे।

आपको बता दें पिछले दिसंबर में सीओपी28 में एक ऐतिहासिक जलवायु समझौता हुआ था जिसमें जीवाश्म ईंधन का उपयोग चरणबद्ध तरीके से खत्म करने और ऊर्जा प्राप्त करने के तरीके में बदलाव करने की अपील की गई थी। सरकारी समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के मुताबिक, नई जलवायु नीतियों के बिना भी, 2030 तक सभी जीवाश्म ईंधन की मांग अधिक होगी।

भारत समेत विकासशील देश अपनी जलवायु योजनाओं का समर्थन करने के लिए प्रति वर्ष एक हजार अरब डॉलर की मांग कर रहे हैं। वैश्विक थिंक टैंक ‘इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ (आईआईएसडी) में वरिष्ठ नीति सलाहकार फारूक उल्लाह ने कहा, सीओपी 29 से पहले वित्त की चुनौती बड़ी दिख रही है। उन्होंने आगे कहा, चुनौतियों से निपटने के लिए, सरकारों को अब सभी प्रकार के संसाधन जुटाने पर फोकस करना चाहिए,जिसमें सार्वजनिक वित्त का घरेलू सुधार और निजी वित्त का लाभ उठाना शामिल है।

वैश्विक थिंक टैंक ‘ई3जी’ के जलवायु नीति विशेषज्ञों ने कहा कि कोप 28 के बाद यह पहली बड़ी जलवायु बैठक होगी। बैठक के दौरान अगले जलवायु वित्त लक्ष्य और राष्ट्रीय जलवायु योजनाओं (एनडीसी) पर विचार विमर्श होगा।  

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