क्वीन के अंतिम संस्कार पर भी खामोश नहीं रहा चीन, ताइवान के प्रतिनिधि को अंतिम रस्मों में शामिल करने पर ड्रेगन ने उगली आग

ताइवान पर बिफरा चीन क्वीन के अंतिम संस्कार पर भी खामोश नहीं रहा चीन, ताइवान के प्रतिनिधि को अंतिम रस्मों में शामिल करने पर ड्रेगन ने उगली आग

Anupam Tiwari
Update: 2022-09-20 11:40 GMT
क्वीन के अंतिम संस्कार पर भी खामोश नहीं रहा चीन, ताइवान के प्रतिनिधि को अंतिम रस्मों में शामिल करने पर ड्रेगन ने उगली आग
हाईलाइट
  • ताइवान चीन का अभिन्न हिस्सा है

डिजिटल डेस्क, लंदन। ब्रिटेन में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की निधन के बाद शोक की लहर है, तो वहीं क्वीन के अंतिम संस्कार के दिन ही चीन व ताइवान एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। कई ऐसे ही महत्वपूर्ण मौके पर ताइवान और चीन के बीच तनातनी की खबरें पहले भी आ चुकी हैं।  हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान पर चीन ने विरोध जताया था और कहा था कि ताइवान मसले पर किसी दूसरे देश की दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। साथ ही दावा किया था कि ताइवान चीन का अभिन्न हिस्सा है और रहेगा।

कुछ ऐसा ही वाकया ब्रिटेन में हुआ, जिसके बाद चीन बौखला गया। दरअसल, ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार के दिन शोक पुस्तक पर ताइवान के प्रतिनिधि ने हस्ताक्षर किए थे। बस यही बात चीन को नागंवार लगी, जिसको लेकर चीन ने कड़ा ऐतराज जताया है। चीन ने अपने बयान में कहा है कि ब्रिटेन की ओर से ताइवान को निमंत्रण देना उसके लिए काफी अपमानजनक है। 

अंतिम संस्कार में पहुंचे थे दुनिया के दिग्गज नेता

एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार में ब्रिटेन के आमंत्रण पर भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू समेत कई देशों के दिग्गज नेता पहुंचे थे। इस मौके पर लंदन के वेस्टमिंस्टर हॉल में प्रतिनिधियों ने शोक पुस्तक पर हस्ताक्षर भी किए थे। ताइवान भी इसमें शामिल था। इसी को लेकर चीन भड़का हुआ है और अपनी आपत्ति भी दर्ज कराई है। 
 
ताइवान चीन का हिस्सा है

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने मीडिया से कहा कि ताइवान ने ब्रिटेन में इस मौके का इस्तेमाल राजनीतिक हेरफेर के लिए किया है, यह शर्मनाक है। माओ ने आगे कहा है कि हालांकि, इस घटना से ये नहीं बदला जा सकता है कि ताइवान चीन का हिस्सा नहीं है। गौरतलब है कि चीन हमेशा से ताइवान को चीन का हिस्सा मानता रहा है। यही वजह है कि वह विदेशी सरकारों का भी ताइवान में यात्रा को लेकर विरोध करता है।

बीते महीने अमेरिकी सीनेटर नैन्सी पैलोसी ने ताइवान में दौरा किया था, जिसके बाद चीन ने बौखलाहट में युद्ध तक की धमकी दे डाली थी। हालांकि ताइवान पहले ही कह चुका है कि उनके राजदूत केली हसीह को ब्रिटिश सरकार की तरफ से लैंकेस्टर हाउस में शोक पुस्तक पर हस्ताक्षर करने के लिए विशेषतौर पर आमंत्रित किया गया था। 

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