जानिए उस सेक्स स्कैंडल के बारे में जिसकी वजह से बोरिस जॉनसन प्रधानमंत्री का पद छोड़ने पर मजबूर हुए

ब्रिटेन का सियासी संकट जानिए उस सेक्स स्कैंडल के बारे में जिसकी वजह से बोरिस जॉनसन प्रधानमंत्री का पद छोड़ने पर मजबूर हुए

Anchal Shridhar
Update: 2022-07-07 17:45 GMT
जानिए उस सेक्स स्कैंडल के बारे में जिसकी वजह से बोरिस जॉनसन प्रधानमंत्री का पद छोड़ने पर मजबूर हुए

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कंजर्वेटिव पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा देने के पहले उन्होंने राष्ट्र को दिए अपने संबोधन में कहा, जब तक कोई नया नेता नहीं आ जाता, वह प्रधानमंत्री पद पर बने रहेंगे। दरअसल, बोरिस जॉनसन सरकार के दो बड़े मंत्रियों ने बीते मंगलवार को उनके काम करने के तरीकों पर सवाले उठाते हुए इस्तीफा दे दिया था। ये दो मंत्री वित्त मंत्री ऋषि सुनक और स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद थे। बताया जा रहा है कि अपनी पार्टी के नेताओं के दिए जा रहे इस्तीफों की वजह से पीएम बोरिस ने ये फैसला लिया। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बोरिस पर इस्तीफा देने का प्रेशर उनकी पार्टी के नेता पहले से बना रहे थे और उनके ऐसा करने की वजह पार्टी के सस्पेंडेट सांसद क्रिस पिंचर थे। दरअसल, क्रिस पिंचर पर एक सेक्स स्कैंडल में शामिल होने का आरोप था, लेकिन इसके बाद भी उनको डिप्टी चीफ व्हिप बना दिया गया। हालांकि बाद में बोरिस ने विरोध बढ़ता देख पिंचर को डिप्टी चीफ व्हिप के पद से हटा दिया।

जानें उस सेक्स स्कैंडल के बारे में जिसके कारण मौजूदा सियासी संकट की शुरुआत हुई

गौरतलब है कि 30 जून को ब्रिटेन के समाचार पत्र ‘द सन’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद क्रिस पिंचर ने लंदन के एक क्लब में शराब के नशे में दो पुरुषों को गलत तरीके से छुआ। इससे पहले 2019 में भी उन पर यौन दुर्व्यहार के आरोप लगे थे। इन आरोपो के बाद भी बोरिस ने क्रिस पिंचर को डिप्टी चीफ व्हिप बनाया था। बोरिस के इस फैसले के बाद ही विपक्ष से लेकर उनकी पार्टी के कई सांसदों और नेताओं ने उनके इस्तीफे की मांग करने की शुरुआत कर दी थी। साथ ही उनके इस फैसले के विरोध में उनकी सरकार के मंत्रीयों और सांसदों ने एक के बाद एक इस्तीफे देने शुरु कर दिए। साथ ही उन पर मनमाने तरीके से काम करने का आरोप लगाया।

बता दें कि बोरिस यौन दुर्व्यहार के इस मामले में सीधे तौर पर तो शामिल नहीं हैं। मगर इस मामले के प्रकाश में आने के बाद उनके सामने मुश्किलें खड़ी हो गईं हैं। दरअसल, 1 जुलाई को ब्रिटेन सरकार ने मीडिया से कहा कि पीएम बोरिस को पिंचर को डिप्टी व्हिप के पद पर न्युक्त करने से पहले उन पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की जानकारी नहीं थी। मगर तीन दिन बाद 4 जुलाई को पीएम के प्रवक्ता ने बताया कि पीएम इन आरोपों के बारे में जानते थे। लेकिन आरोप साबित न होने की वजह से उन्होंने पिंचर की न्युक्ति नहीं रोकी। 

इसके अलावा कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा भी किया गया कि 2019-20 के दौरान जब बोरिस विदेश मंत्री थे, तब भी पिंचर के खिलाफ एक शिकायत लाई गई थी जिसमें उन पर यौन दुर्व्यहार का आरोप था। बाद में उनके खिलाफ यह आरोप साबित भी हुए थे। 

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