World Hearing Day: 27,000 से अधिक शिशुओं में रहती है बहरेपन की शिकायत, देश में भी होनी चाहिए न्यू बॉर्न हियरिंग स्क्रीनिंग

World Hearing Day: 27,000 से अधिक शिशुओं में रहती है बहरेपन की शिकायत, देश में भी होनी चाहिए न्यू बॉर्न हियरिंग स्क्रीनिंग

Bhaskar Hindi
Update: 2019-03-03 06:19 GMT
World Hearing Day: 27,000 से अधिक शिशुओं में रहती है बहरेपन की शिकायत, देश में भी होनी चाहिए न्यू बॉर्न हियरिंग स्क्रीनिंग

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कभी आपने सोचा है कि आप अगर अपने आस पास की आवाजें न सुन पाएं तो कैसा लगेगा। अपने आस पास की वे आवाजें जिनके बिना आपका दिन नहीं गुजरता। आपके घरवालों की चहल-पहल की आवाज, सरसराती हवाओं की आवाज, पानी की कल-कल की आवाज। ये सभी आवाजें आपको हमेशा सुकून देती हैं। बिना सुने शायद हम कुछ रिएक्ट भी नहीं कर पाते। तभी तो आपने देखा होगा जो लोग सुन नहीं पाते, वे ठीक से बोल भी नहीं पाते। लोगों में इसी सुनने की क्षमता को बनाए रखने के लिए हर साल 3 मार्च को विश्व श्रवण दिवस मनाया जाता है। 

क्या आप जानते हैं कि दुनिया में हर साल करीब 27,000 से अधिक शिशुओं में बहरेपन की शिकायत रहती है। जिसके चलते उनका बेहतर विकास नहीं हो पाता। कई बार उनके बहरेपन का अंदाजा लगाना भी मुश्किल होता है। अगर वक्त रहते उनका इलाज आरंभ हो जाए तो वे शायद इस बेहरेपन से बच सकते हैं। बहरेपन की इस समस्या को खत्म करने और लोगों में इसी तरह की जागरुकता लाने के लिए हर साल तीन मार्च को विश्व श्रवण दिवस यानी वर्ल्‍ड हियरिंग डे मनाया जाता है। ताकि लोग इस समस्या से निजात पा सकें। 

डॉक्टर्स के अनुसार किसी व्यक्ति की श्रवण शक्ति कम होने से संबंधित तकलीफों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कोक्लियर इंप्लांट एक व्यक्ति को खामोशी से आवाज की दुनिया में ले जाता है। यह जीवन को बदलने वाला क्षण है। बहुत सारे विकसित देशों में हर नवजात शिशु के लिए हियरिंग स्क्रीनिंग कराई जाती है। जिससे यह पता चल सके कि वह सुन सकता है या नहीं। हमारे देश को भी यूनिवर्सल न्यू बॉर्न हियरिंग स्क्रीनिंग को अनिवार्य बनाने पर विचार करना चाहिए। ताकि हमारे देश में इस समस्या का पता लगा कर उसे खत्म किया जा सके।

दुनिया में लगभग 36 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो सुन नहीं सकते। 2011 की जनगणना के अनुसार ये बात सामने आई कि 50 लाख से ज्यादा की आबादी इस समस्या से पीड़ित है। जिससे उनकी शरीरिक और आर्थिक सेहत पर असर पड़ता है। इस रोग की तुरंत पहचान कर इसका इलाज जरूरी है। इसलिए हर साल तीन मार्च को वर्ल्‍ड हियरिंग डे मनाया जाता है, ताकि इस समस्या को देश से खत्म किया जा सके। 

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