अब लीजिए जड़ी-बूटी युक्त इनरवेअर

अब लीजिए जड़ी-बूटी युक्त इनरवेअर

Bhaskar Hindi
Update: 2017-06-25 09:36 GMT
अब लीजिए जड़ी-बूटी युक्त इनरवेअर

टीम डिजिटल,केरला. डिजायनर इनरवेअर के लिए बेहतर कपड़ा प्रयोग कर रहे हैं| अब यह प्रयोग केवल ईको फ्रेंडली मटीरियल तक सीमित नहीं रहे हैं, बल्कि अब लान्जरी के कपड़े हल्दी, नीम और अन्य भारतीय जड़ी-बूटियों में डुबोकर तैयार किए जा रहे हैं। सुनकर चौक गये होगें आप पर दक्षिण भारत के बुटीक में ऐसा कपड़ा तैयार हो रहा है और यह कपड़ा ब्रिटेन के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया और जापान के ऑनलाइन स्टोर तक अपनी जगह बना रहा है। 

जापान में सचिको बेतसुमेई की आयुर्वेदिक "हारामकी" (एक तरह का अंडरवेअर) लोगों के बीच में तेजी से पॉप्युलर हो रहा है। इस अरोमाथेरपिस्ट ने केरल में 2014 में कोवलम की एक कपड़े की दुकान में इस तरह के आयुर्वेदिक कपड़े का पता लगाया था, जिसके बाद उन्होंने इसका एक ऑनलाइन स्टोर लॉन्च कर दिया। बेतसुमेई ने कहा, "सभी प्रॉडक्ट जैविक कॉटन के बने हैं जिसे सप्पन वुड, हल्दी, तुलसी, त्रिफला जैसी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों में डुबो कर रखा गया है।" उन्होंने अलग-अलग प्रदर्शनियों में इन्हें बेचा जिसके बाद उन्हें पता चला कि इसकी काफी मांग है। उन्होंने कहा, "जापान में आयुर्वेद के प्रति लोगों के रुझान में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। जब भी लोगों को कोई समस्या होती है तो वह खानपान और लाइफस्टाइल में आयुर्वेद का इस्तेमाल करने लगते हैं। इसी तरह लोग आयुर्वेद कपड़े इस्तेमाल करने के लिए भी काफी उत्सुक हैं।"

आयुर्वेदिक लान्जरी और कपड़े पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो रहे हैं। साल 2006 में केरल के डायरेक्टरेट ऑफ हैंडलूम और गवर्नमेंट आयुर्वेद कॉलेज ने मिलकर "आयुर्वस्त्र" लॉन्च किया था। अब कई विदेशी कंपनियां इस कपड़े को केरल के बलरामपुरम के कैराली एक्सपोर्ट से खरीद रहे हैं। यह हैंडलूम फर्म पहले आयुर्वस्त्र प्रॉजेक्ट में कपड़े रंगने का काम करती थी। अब वह इरोड और तिरुपुर में खुद कपड़ा तैयार कर रहे हैं। उनके मुताबिक यह काम अपनी जड़ों की ओर लौटने जैसा है। कैराली एक्सपोर्ट्स के टी कुमार ने कहा, "पहले सभी कपड़े नैचरल डाई से रंगे जाते थे। बाद में कैमिकल डाई का प्रयोग किया जाने लगा जो कपड़ा पहनने वाले और वातावरण के लिए काफी हानिकारक होता है।"

ब्रिटेन की क्रिस्टीन स्नो 20 दुकानों और तीन ऑनलाइन स्टोर्स को आयुर्वेदिक पैंटी सप्लाई करती है। उनका दावा है कि शरीर की गर्मी के कारण पौधों और जड़ी-बूटियों के गुण धीरे-धीरे स्किन में समाने लगते हैं। भारतीय मंजिष्ठा में सूजन दूर करने और त्वचा की समस्याओं को दू करने का गुण होता है। उन्होंने कहा, "इन जड़ी बूटियों के कारण कपड़े का रंग भी काफी खूबसूरत गुलाबी दिखता है। वहीं, नीम में भी काफी एंटीसेप्टिक गुण होते हैं साथ ही यह एग्जिमा और त्वचा में होने वाली जलन से छुटकारा देता है।" स्नो भारतीय मंजिष्ठा, नीम और हल्दी वाली पैंटी बेचती हैं। यह एक पैंटी लगभग 820 रुपये की बिकती है। इसके अलावा आयुर्वेदिक कपड़े के शॉल और स्कार्फ भी बेचे जाते हैं। 
 

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