सर्वे: भारतीय अब एक ही बच्चे से हैं खुश, 68% महिलाओं ने किया दूसरे बच्चे से इनकार
सर्वे: भारतीय अब एक ही बच्चे से हैं खुश, 68% महिलाओं ने किया दूसरे बच्चे से इनकार
डिजिटल डेस्क । भारत में पॉप्युलेशन कंट्रोल के लिए सरकार कई कैंपेन चलाती है। कई तरह के टीवी एडवर्टाइजमेंट, पोस्टर्स और स्लोगन के जरिए पॉप्युलेशन कंट्रोल करने के तरीके बतलाती है। जैसे "हम दो, हमारे दो", "बच्चे दो ही अच्छे", "छोटा परिवार सुखी परिवार" और "जनसंख्या पर रोक लगाओ, विकास की धार बढाओ", यही है प्रगति का आधार।" इनका काफी असर भी हुआ है और लोगों में काफी जागरूकता आई है, लेकिन शहरी जीवन और आज की पढ़ी-लिखी, कामकाजी महिलाओं की सोच इससे कहीं ऊपर है और वो खुद सरकार से एक आगे चलते हुए एक ही बच्चे के साथ खुश हैं। दरअसल एक सर्वे में सामने आया है कि भारत में केवल 24 प्रतिशत महिलाएं ही दूसरा बच्चा चाहती हैं। सरकारी डाटा के अनुसार इसमें 10 साल में 68 प्रतिशत तक की गिरावट देखी गई।
आपको बता दें कि यूनियन हेल्थ मिनिस्ट्री के नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे के जरिए इस बात का खुलासा हुआ है। 15 से 49 साल के बीच की शादीशुदा महिलाओं पर सर्वे किया गया, जिसमें इस बात का खुलासा हुआ कि सिर्फ 24 प्रतिशत महिलाएं दूसरा बच्चा चाहती थी। वहीं पुरुषों में ये संख्या 27 प्रतिशत थी।
एक्सपर्ट ने बताया कि इसका कारण बेहतर करियर, अच्छी लाइफास्टाइल और देरी से मां बनना है। रोज बदलती जीवनशैली को देखते हुए लोगों में बच्चों को अच्छी पढ़ाई, अच्छे कपड़े, गैजेट्स और सभी तरह की लग्जरी देने के लिए वे दूसरा बच्चा करने के लिए सोचते हैं।
वहीं शहर में रहने वाले पढ़े लिखे जोड़े 30 साल की उम्र में और शुरुआती 40 में डॉक्टर के पास पहले बच्चे की प्लेनिंग करने के लिए आते हैं। दिल्ली की गायनोकॉलोजिस्ट का कहना है कि ज्यादातर जोड़े देरी से बच्चा करना चाहते है क्योंकि वो अपना करियर बनाना चाहते है या वो शादी ही देर से करते हैं। वहीं कुछ जोड़े एक ही बच्चे से खुश है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 54 प्रतिशत महिलाओं के दो बच्चे थे। वहीं 25 से 29 साल के बीच की 16 प्रतिशत महिलाओं के एक भी बच्चे नहीं थे।