बिछिया पहनने से महिलाओं को होते हैं ये फायदे, आयुर्वेद में भी लिखा है इसका महत्व

बिछिया पहनने से महिलाओं को होते हैं ये फायदे, आयुर्वेद में भी लिखा है इसका महत्व

Bhaskar Hindi
Update: 2017-10-26 10:01 GMT
बिछिया पहनने से महिलाओं को होते हैं ये फायदे, आयुर्वेद में भी लिखा है इसका महत्व

डिजिटल डेस्क, भोपाल। भारतीय संस्कृति में विवाहित महिलाओं के लिए बिछिया पहनने का विधान है। यह नारी के सोलह श्रृंगार का ही एक अहम हिस्सा है। कहा जाता है कि बिछिया पहनने से केवल महिलाओं के पैरों की खूबसूरती ही नहीं बढ़ती बल्कि इससे वह बुरी नजर से भी बची रहती हैं। बिछिया पहनने से कुछ रोगों से भी बचाव होता है। हमारे समाज की मान्यता है कि शादी के बाद प्रत्येक महिला को बिछिया पहननी चाहिए। इसे पहनना शुभ माना जाता है। सोलह श्रृंगारों में 15वें पायदान पर पैर की अंगुलियों में बिछिया पहने का रिवाज सदियों से चला आ रहा है।आयुर्वेद में भी पैरों में बिछिया पहनना मर्म चिकित्सा के अंतर्गत बताया गया है। यही वजह है कि हमारी संस्कृति में विवाहित महिलाओं इसे पहनती हैं। इसके अलावा पैरों की अंगुलियों में बिछिया पहनने के कई कारण हैं। रामायण महाकाव्य में एक जगह लिखा गया है कि जब रावण वन से सीता मैया का अपहरण कर लेता है तो सीता मैया अपनी बिछिया उतार कर फेंक देती हैं। इससे साफ है कि प्राचीन काल से बिछिया का उपयोग किया जा रहा है।  

  • बिछिया चांदी धातु की बनी होती है, चूंकि चांदी तरंगों का एक अच्छा सुचालक मानी जाती है इसलिए यह सीधे धरती से निकली ध्रुवीय उर्जा को अवशोषित कर लेती है, और शरीर के पास जाने से रोकती है।
  • बिछिया कभी भी सोने की नहीं बनती क्योंकि सोने को लक्ष्मी जी धारण करती हैं और इसे शरीर के निचले भाग में नहीं पहना जाता। महिलाओं द्वारा पैरों की अंगुलियों में बिछिया पहनने से उत्तेजना में वृद्धि होती है।
  • बिछिया पहनने से महिलाओं की प्रजनन शक्ति में भी बढ़ावा होता है। क्योंकि पैरों की अंगुलियों से कुछ विशेष तंत्रिकाएं गर्भाशयों से जुड़ी होती है। जब महिला बिछिया पहन कर चलती है तो घर्षणों से उत्पन्न उर्जा से उसे लाभ होता है।
  • बिछिया से महिलाओं में मासिक धर्म का संतुलन ठीक रहता है और रक्त का प्रवाह भी बना रहता है। यह महिलाओं के गर्भ धारण करने में भी सहायक होती है।
  • बिछिया पहनने से सिएटिक नस का प्रेशर बढ़ता है जिससे आस-पास की नसें जो यूटेरस व प्रजनन तंत्र से जुड़ी हैं, इनमें रक्त प्रवाह ठीक बना रहता है और यूटेरस का संतुलन बना रहता है।

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