रईसी की कब्र: सोने के गुंबद वाली दरगाह में सुपुर्द-ए-खाक हुए इब्राहिम रईसी, जानें क्या है इसकी अहमियत

सोने के गुंबद वाली दरगाह में सुपुर्द-ए-खाक हुए इब्राहिम रईसी, जानें क्या है इसकी अहमियत
  • रईसी का बीते रविवार को हुआ निधन
  • अंतिम यात्रा में शामिल हुए भारत के उपराष्ट्रपति
  • अंतिम विदाई में पहुंचे लाखों लोग

डिजिटिल डेस्क, नई दिल्ली। ईरान के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की बीते रविवार को हेलिकॉप्टर क्रैश हादसे में मौत हो गई थी। जिससे पूरे ईरान में शोक की लहर जारी है। साथ ही, रईसी के निधन से पूरे मिडिल ईस्ट में तनाव का माहौल है। हेलिकॉप्टर क्रैश में उनके साथ विदेश मंत्री और अन्य 6 लोग भी हादसे का शिकार हुए थे। रईसी को गुरुवार को सुपुर्द-ए-खाक किया गया। उन्हें सोने के गुंबद वाली दरगाह में दफनाया गया है। जो कि कई मायने में अहम है।

उन्हें सदियों से शिया समुदाय के लिए पवित्र माने गए ईरान के मशहद में स्थित इमाम रज़ा दरगाह में दफनाया गया। इस दरगाह को शिया इस्लाम में सबसे पवित्र जगह माना गया है। इसी दरगाह में शिया के आठवें इमाम को भी दफनाया गया था। इस्लाम के पैगंबरों का ये भी मानना है कि कोई भी व्यक्ति दुख या पाप से ग्रस्त क्यों न हो। उसे यहां पर दफनाने से मुक्ति मिल जाती है।

इस पवित्र दरगाह में रईसी से पहले भी कई लोगों को दफनाया गया है। बीते कुछ वर्षों से रईसी इस मस्जिद की देखभाल कर रहे थे। साथ ही, वह यहां कुछ समय तक एक चैरिटी फाउंडेशन से जुड़ कर भी काम किए थे। हालांकि, रईसी के जनाजे में काफी भीड़ देखने को मिली है।

कई देशों ने दी श्रद्धांजलि

रईसी की अंतिम यात्रा में भारत के साथ-साथ 62 देशों के प्रतिनधि भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे। यात्रा में 30 लाख से ज्यादा लोगों की भीड़ उमड़ी। ईरान ने रईसी की मौत पर 5 दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित किया। वहीं, भारत, पाकिस्तान और कई अन्य देशों ने भी एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया था।

भारत की तरफ से उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने ईरान के कार्यवाहक राष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर से मिलकर रईसी और अन्य साथियों के निधन पर शोक व्यक्त किया। इसके अलावा विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर मंगलवार को दिल्ली में ईरानी दूतावास पहुंचे थे। अब रईसी की मौत के बाद 28 जून को ईरान में नए राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं।

Created On :   24 May 2024 10:52 AM GMT

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