रहस्यमयी खजाना: इंदिरा सरकार ने आपातकाल के दौरान पांच महीनों तक आंबेर के किले में कराई थी खुदाई, क्या है मानसिंह के खजाने का रहस्य?

  • क्या है मानसिंह के खजाने का रहस्य?
  • पांच महीनों तक आंबेर के किले में खुदाई
  • खजाने पर पाकिस्तान का भी हक?

Ritu Singh
Update: 2024-05-04 12:22 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय इतिहास में वीर और साहसी सैनिकों की कई कहानियां हैं, जो अपने समय के धन और समृद्धि के बारे में अनकहे रहस्यों को लेकर अज्ञात रहे हैं। ऐसी ही एक कहानी है मानसिंह के खजाने की, जो अकबर के दरबार में एक महान सामंत थे। यह खजाना आज भी एक रहस्य बना हुआ है। सन् 1975 से 1977 तक देश में 21 महीनों तक आपतकाल लगा था। इस दौरान इंदिरा गांधी ने राजस्थान के एक किले में खोजकर्ताओं की एक टुकड़ी को इस खजाने की खोज में तैनात किया था। खोजकर्ताओं की टुकड़ी पांच महीनों तक लगातार किले में खजाने को ढूंढती रही थी। लेकिन इस खोज में कोई खजाना हाथ नहीं लगा।

खजाने को लेकर चले इस अभियान की चर्चा इतनी थी कि 1976 में पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री जुल्फिकार भुट्टो ने इस खजाने को लेकर इंदिरा गांधी को पत्र लिखा था। अपने पत्र में उन्होंने उस खजाने पर पाकिस्तान का भी हक होने की बात कही थी।

1990 में आई किताब में है खजाने का जिक्र

आरएस खागरोट और पीएस नाथावत की 1990 में आई किताब 'जयगढ़- द इनविसाइबल फोर्ट ऑफ आंबेर' में इस खजाने का जिक्र मिलता है। किताब के मुताबिक, मुगल शासन के सेनापति राजा मानसिंह ने बादशाह अकबर के आदेश पर अफगानिस्तान पर हमला किया था। राजा मानसिंह ने अफगानिस्तान पर जीत हासिल कर ली थी. जहां से वह बहुत सारा खजाना अपने साथ लेकर लौटे थे। हालांकि, उन्होंने खजाने की जानकारी अकबर को नहीं दी थी। उन्होंने सारे खजाने को जयगढ़ किले के पानी की टंकियों में छिपा दिया था।

कई लोगों ने की थी खजाने को पाने की कोशिश

पहली बार खजाने की बात 'हफ्त तिलिस्मात ए आंबेर' नाम की किताब में की गई थी। इस खजाने को पाने की कोशिश न सिर्फ इंदिरा सरकार ने बल्कि अंग्रेजों ने भी की थी। लेकिन वह भी अपने इस प्रयास में नाकाम रहे थे। आपतकाल के दौरान इंदिरा गांधी के आदेश पर वहां की रानी गायत्री देवी को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद सेना समेत खोजकर्ताओं की टुकड़ी आंबेर के किले की खुदाई में पांच महीनों तक लगी रही थी।

खुदाई के दौरान किले के उपर अक्सर हेलिकॉप्टर देखे जाते थे। माना तो यह भी जाता है कि इंदिरा और संजय गांधी खुदाई के दौरान अक्सर किले में आते-जाते रहते थे। इंदिरा सरकार ने सबके सामने यह स्पष्ट कर दिया था कि किले में खुदाई के दौरान सिर्फ 230 किलो चांदी मीली है। इसके अलावा यहां कुछ भी नहीं है।

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