धन जुटाने के लिए जहाजों के स्क्रैप्ड इंजन पार्ट्स बेचेगी एयर इंडिया

धन जुटाने के लिए जहाजों के स्क्रैप्ड इंजन पार्ट्स बेचेगी एयर इंडिया

Bhaskar Hindi
Update: 2017-10-23 15:23 GMT
धन जुटाने के लिए जहाजों के स्क्रैप्ड इंजन पार्ट्स बेचेगी एयर इंडिया

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 52000 करोड़ रूपए के घाटे में चल रही पब्लिक सेक्टर की विमानन कंपनी एयर इंडिया स्क्रैप्ड एयरक्राफ्ट इंजन पार्ट्स को बेच कर धन जुटाएगी। कंपनी ने इसे बेचने के लिए बिजनेस टेंंडर बुलाए हैं। एयर इंडिया ने अपने एक बयान में बताया कंपनी चुनिंदा इंजन पार्ट्स को प्रोफिट शेयरिंग आधार पर बेच कर धन जुटाने का प्रयास कर रही है। टेंडर डाक्यूमेंट के अनुसार अगर ऐसा नहीं हो पाया तो उन्हें भी कबाड़ की तरह बेच दिया जाएगा। टेंडर डाक्यूमेंट में ऐसे पुर्जों को निर्धारित मूल्य पर कबाड़ के भाव बिकवाने के लिए बिडर को जिम्मेदार ठहराया गया है। 

सरकार के लिए बड़ा बोझ बनी कंपनी
यह प्रस्ताव ऐसे समय आया है, जब केंद्र सरकार भारी कर्जों से दबी सार्वजनिक क्षेत्र की इस कंपनी के विनिवेश की तैयारियों में जुटी हुई है। टेंडर डाक्यूमेंट के अनुसार एयर लाइन प्राफिट शेयरिंग के आधार पर चुनिंदा इंजन पार्ट्स को बेच कर बाजार से अतिरिक्त धन जुटाने का प्रयास करेगी। यदि ऐसा संभव नहीं हुआ, तो इन पुर्जों को भी कबाड़ के भाव बेच कर पहले से तयशुदा मूल्य पर बिडर को ही इन्हें ठिकाने लगाने की को कहा जाएगा। बोली लगाने वाले बिडर्स विभिन्न स्थानों पर एकत्र इन पुर्जों को एकत्र करना होगा और उन्हें ही इसके क्रास कंट्री ट्रांसपोर्टेशन, एक्सपोर्ट क्लियरेंस और रिपेयर से जुड़ी जिम्मेदारियों को पूरा करना होगा। 

कबाड़ बेचने व हैंगर छोड़ने का निर्णय
आंतरिक स्रोतों से धन जुटाने के क्रम में पिछले माह एयर इंडिया के सीएमडी राजीव बंसल ने कहा था एयर इंडिया अपने अनुपयोगी हैंगर खाली कर देगा और वहां रखा कबाड़ भी बेच देगी। उन्होंने कहा था कि हैंगरों पर बड़ी मात्रा में अनुपयोगी कबाड़ एकत्र है। इसे बेच कर हम कुछ धन जुटा सकते हैं। उन्होंने कहा कि उपयोग में नहीं आने वाले हैंगरों को खाली कर किराए के बोझ को बचाया जा सकता है। हवाई अड्डों पर हैंगरों में बिना इस्तेमाल किया हुआ बहुत सारा सामान पड़ा है। कंपनी को इसकी कोई जरूरत नहीं है। अब तक इसे बिना वजह ढ़ोया जा रहा था। इस सामान को बेच कर कुछ पैसे जुटाए जाएंगे। साथ ही अतिरिक्त स्थान छोड़ने से कंपनी के ऊपर से किराए का भार घटेगा। दिल्‍ली और मुम्‍बई हवाई अड्डों पर बहुत सारी जगह फालतू पड़ी है। दिल्‍ली में एक विमान हैंगर में खड़ा था, जिसे नीलाम कर दिया गया है। इसी तरह मुम्‍बई एयरपोर्ट पर काफी स्‍क्रैप पड़ा हुआ है। जिसे बेच कर हैंगर स्‍पेस खाली‍ किया जाएगा।   

हर साल नौ हजार करोड़ का बोझ 
एयर इंडिया के आपरेटिंग फ्लीट में इस समय 140 एयरक्राफ्ट हैं। एयर इंडिया 42 अंतराष्ट्रीय और 70 घरेलू मार्गों पर अपने विमानों का संचालन करती है। सरकार एयर इंडिया और उसकी सहायक कंपनियों के रणनीतिक विनिवेश का प्रयास कर रही है। कभी भारतीय विमानन उद्योग की सिरमौर रही यह कंपनी इस समय देश के खजाने पर हर साल उतना ही बोझ डाल रही है, जितना लेकर शराब कारोबारी विजय माल्या देश से चंपत हो गए हैं। एयर इंडिया को अकेले कर्मचारियों के वेतन पर ही हर साल 3000 करोड़ रुपए से अधिक खर्च करने पड़ते हैं। इसके अलावा वीवीआईपी मेहमानों की यात्राएं और दिन प्रति दिन के आपरेशनल खर्चे कंपनी पर भारी आर्थिक बोझ डाल रहे हैं। 

कैसे रसातल में गई कंपनी 
सार्वजनिक क्षेत्र की इस विमानन कंपनी की असफलता की कहानी कंपनी की प्रबंधकीय अनियमितताओं से जुड़ी हुई है। मामला चाहे 70000 करोड़ रुपए में 111 विमान खरीदने के सौदे का रहा हो, लीज पर विमान देने का रहा हो या फिर लाभदायक वायुमार्गों को कौड़ियों के भाव निजी विमानन कंपनियों को सौंप देने के आत्मघाती निर्णय का रहा हो; एयर इंडिया को रसातल में पहुंचाने में इन निर्णयों की बहुत बड़ी भूमिका रही है। घाटे से उबारने के लिए एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइन्स के एकीकरण की योजना भी एक ऐसी ही अतियथार्थवादी योजना थी, जिसने देश के खजाने पर भारी बोझ डाल़ा है। इस समय एयर इंडिया 52000 करोड़ रुपए से अधिक के घाटे में है। यह घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है।  
 

Similar News