500 और 2000 के दो अलग नोट छापना सदी का सबसे बड़ा घोटाला : कांग्रेस

500 और 2000 के दो अलग नोट छापना सदी का सबसे बड़ा घोटाला : कांग्रेस

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-08 15:56 GMT
500 और 2000 के दो अलग नोट छापना सदी का सबसे बड़ा घोटाला : कांग्रेस

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संसद में मंगलवार को कांग्रेस पार्टी ने 500 और 2000 रुपए के दो अलग अलग-अलग तरह के नोट छापे जाने को लेकर सत्ताधारी मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। कांग्रेस ने नोटबंदी के बाद दो अलग तरह के नोट छापे जाने और इससे भारतीय करेंसी की विश्वसनीयता जोखिम में पड़ने का आरोप लगाते हुए पीएम नरेन्द्र मोदी से स्पष्टीकरण देने की मांग की है।

सदी का सबसे बड़ा घोटाला

वहीं कांग्रेस पार्टी के सांसदों ने 500 रुपए के भी दो अलग-अलग नोट छापने का आरोप लगाते हुए उच्च सदन राज्यसभा में 500-500 के दो अलग-अलग नोट भी दिखाए। नोटों को दिखाते हुए दावा किया कि उनका आकार और डिज़ाइन अलग-अलग है, और पार्टी ने इसे "सदी का सबसे बड़ा घोटाला" करार दिया है। विपक्षी पार्टी ने इस मुद्दे पर राज्य सभा की कार्यवाही बाधित की, जिसके चलते सदन की कार्यवाही स्थगित करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

पीएम और RBI गवर्नर दें जवाब

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा, "हमने भी शासन किया, लेकिन कभी भी दो तरह के नोट नहीं छापे, एक पार्टी के लिए, एक सरकार के लिए - दो तरह के 500 और 2,000 रुपये के नोट। वहीं कपिल सिब्बल ने कहा कि अलग - अलग आकार के करेंसी नोटों के होने के चलते करेंसी की विश्वसनीयता जोखिम में पड़ी है। प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री, RBI गवर्नर को सामने आना चाहिए और विवरण देना चाहिए।

कालाधन और भ्रष्टाचार रोकने में नाकामयाब नोटबंदी

इससे पहले दिन में राज्य सभा में यह मुद्दा उठा चुके कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार के स्पष्टीकरण देने तक पार्टी संसद में इस मुद्दे को उठाना जारी रखेगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि नोटबंदी का कदम काला धन, भ्रष्टाचार, जाली नोट और आतंकवाद पर रोक लगाने के उद्देश्यों को हासिल करने में नाकाम रहा है। इस संदर्भ में उन्होंने यह मांग की कि सरकार 1000 रुपए और 500 रुपए के पुराने नोटों को अमान्य करने के पीछे के मकसद के बारे में बताए।

सिब्बल ने कहा, पहले, उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि नोटों को छापने के लिए कौन से डाई का इस्तेमाल किया गया, किस तरह के नोट छापे गए, किन प्रिटिंग प्रेसों में अलग-अलग आकार के नोट छापे गए। यह मांग भी है कि सरकार इस बारे में ब्योरा दे कि कहां और कैसे उन्हें छापा गया, क्योंकि यह मुद्दा देश के वित्तीय ढांचे पर सवाल खड़े करता है।

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