पत्नी के हाथ की बनी मैगी खा खाकर पक गया पति, अदालत में पहुंचा मामला, मैगी ने कराया तलाक, जज भी हैरान

मैगी ने तोड़ी मैरिज! पत्नी के हाथ की बनी मैगी खा खाकर पक गया पति, अदालत में पहुंचा मामला, मैगी ने कराया तलाक, जज भी हैरान

Anchal Shridhar
Update: 2022-05-30 14:01 GMT
पत्नी के हाथ की बनी मैगी खा खाकर पक गया पति, अदालत में पहुंचा मामला, मैगी ने कराया तलाक, जज भी हैरान
हाईलाइट
  • पति-पत्नी की आपसी सहमति से तलाक

डिजिटल डेस्क, भोपाल। यह बात आपको सुनने में जरुर अजीब लगेगी लेकिन एक हंसता खेलता परिवार मैगी की वजह से उजड़ गया। दरअसल, एक कपल के बीच इस आधार पर तलाक हो गया कि पत्नी को खाने में मैगी के अलावा और कुछ बनाना नहीं आता था। पति जब भी उससे नाश्ता या खाना बनाने का बोलता वह मैगी बनाकर ले आती। सुबह, दोपहर, शाम और रात बस मैगी ही मैगी खाने की वजह से पति इतना परेशान हो गया कि उसने अदालत में तलाक की अर्जी दे डाली। दिलचस्प बात ये है कि पत्नी ने पति की इस अर्जी पर कोई आपत्ति नहीं जताई। वहीं अदालत ने भी पति की परेशानी को समझते हुए पति-पत्नी की आपसी सहमति से तलाक की अर्जी को स्वीकार कर लिया। 

जज भी हुए हैरान

इस केस का जिक्र मैसूर के प्रिंसिपल डिस्ट्रिक और सेशंस कोर्ट के जज एम एल रघुनाथ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान किया। उन्होंने बताया, जब वो बेल्लारी में जिला जज थे तब उनके सामने ये मामला आया था। जज रघुनाथ ने बताया कि एक पति ने सिर्फ इस बात पर कोर्ट में तलाक की अर्जी दे दी कि उसकी पत्नी को खाने में केवल मैगी बनाना आता था।

छोटी-छोटी चीजों पर बढ़ रहे तलाक के मामलों को लेकर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे जस्टिस रघुनाथ ने कहा कि आजकल मामूली सी बातें नव दंपत्ति के बीच तलाक की वजह बन रही हैं। उन्होंने बताया कि कुछ लोगों ने तो थाली में सही जगह नमक न डालने या शादी के कपड़े का रंग या डिजाइन पसंद न आने के कारण भी तलाक की अर्जी दी है।

इस तरह के मामले अरेंज मैरिज में ज्यादा आ रहे हैं या लव मैरिज में, इस पर जस्टिस रघुनाथ ने कहा कि लव व अरेंज दोनों ही केसों में तलाक की अर्जी देने वालों की संख्या बराबर ही है। 

तलाक के मामलों में हो रही बढ़ोत्तरी

जस्टिस रघुनाथ के अनुसार, पिछले कुछ सालों में तलाक के मामलों में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। दंपत्ति को तलाक की अर्जी डालने से पहले एक दूसरे के साथ कम से कम एक साल का समय तो बिताना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर सुलहनामा का कानून न होता तो कपल सीधे शादी हॉल से ही तलाक की अर्जी डाल देते।     
 

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