मोक्षस्थली गया में हुआ सामूहिक पिंडदान, कोरोना में जान गवांने वालो की शांति के लिए हुई प्रार्थना

बिहार मोक्षस्थली गया में हुआ सामूहिक पिंडदान, कोरोना में जान गवांने वालो की शांति के लिए हुई प्रार्थना

IANS News
Update: 2021-10-01 10:30 GMT
मोक्षस्थली गया में हुआ सामूहिक पिंडदान, कोरोना में जान गवांने वालो की शांति के लिए हुई प्रार्थना

डिजिटल डेस्क, गया। बिहार के गया में ऐसे तो पितृपक्ष पर देश और विदेश के लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और उन्हें मोक्ष दिलाने के लिए पिंडदान करते हैं। सनातन धर्म में मान्यता है कि मरने के बाद आत्मा की शांति तभी मिलती है जब पितृपक्ष में उनके परिजनों द्वारा पिंडदान किया जाए। इस बीच, वैश्विक महामारी कोरोना के कारण मारे गए देश-विदेश के लाखों लोगों के लिए विष्णुनगरी में गुरुवार को सामूहिक पिंडदान कर मोक्ष की कामना की गई।

गयाधाम के सूर्यकुंड के रहने वाले चंदन कुमार सिंह ने पितृपक्ष में आश्विन कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को कोरोना के अलावा घटना-दुर्घटना के शिकार हुए लाखों लोगों ने लिए पिंडदान और तर्पण किया। चंदन देवघाट पर दिल्ली दंगे में मारे गए लोग तथा 8 मई 2020 को औरंगाबाद (महाराष्ट्र) में मालगाड़ी से कटकर मरे 16 मजदूरों के बलिए पिंडदान कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। फल्गुन नदी के देवघाट पर रामानुज मठ के मठाधीश जगदगुरु वेंकटेश प्रपणाचार्य व आचार्यगण के निर्देशन में पूरे विधि-विधान से कर्मकांड संपन्न हुआ।

चंदन ने 2021 में कोरोना के अलावा अन्य घटनाओं और दुर्घटनाओं में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए भी तर्पण किया। चंदन बताते हैं, मेरे पिता ने लगातार 13 वर्षो तक इस परंपरा का निर्वाह किया और उनके परलोक सिधारने के बाद मैं इस कार्य को निभा रहा हूं।

उन्होंने बताया कि उनके पिता का मानना था कि पूरी दुनिया अपनी है, अगर किसी का बेटा या परिजन होकर पिंडदान करने से किसी की आत्मा को शांति मिल जाती है, तो इससे बड़ा कार्य क्या हो सकता है। चंदन कहते हैं कि उनके पिता ने अपनी मृत्यु के समय ही कहा था कि वे रहे या न रहें परंतु यह परंपरा आगे भी चलनी चाहिए। चंदन सिंह ने कहा कि उनके पिता सुरेश नारायण लगातार 13 वर्षों तक मातृ नवमी को देवघाट पर ही सामूहिक पिंडदान करते थे। 2014 में उनका निधन हो गया था।

(आईएएनएस)

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