1700 से ज्यादा MP-MLAs पर क्रिमिनल केस, UP टॉप पर : केंद्र

1700 से ज्यादा MP-MLAs पर क्रिमिनल केस, UP टॉप पर : केंद्र

Bhaskar Hindi
Update: 2018-03-12 04:30 GMT
1700 से ज्यादा MP-MLAs पर क्रिमिनल केस, UP टॉप पर : केंद्र

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट फाइल किया है। इस एफिडेविट के मुताबिक, देशभर के 1700 से ज्यादा सांसदों और विधायकों पर क्रिमिनल केस चल रहे हैं। दरअसल, दागी नेताओं पर लाइफटाइम बैन लगाने की मांग को लेकर फाइल की गई पिटीशन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से दागी नेताओं की जानकारी देने को कहा था। जिसपर जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने कोर्ट में एफिडेविट फाइल किया है, जिसमें बताया है कि देश के 1765 सांसदों-विधायकों के खिलाफ 3,045 क्रिमिनल केस दर्ज हैं। इस लिस्ट में सबसे ऊपर उत्तर प्रदेश है और उसके बाद तमिलानाडु, वेस्ट बंगाल का नंबर है। 

केंद्र सरकार ने एफिडेविट में क्या जानकारी दी?

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट फाइल किया है जिसमें दागी नेताओं के बारे में जानकारी दी है। इस एफिडेविट में केंद्र सरकार ने जानकारी दी है कि "2014 से 2017 के बीच 1,765 सांसदों-विधायकों के खिलाफ 3,816 केस पेंडिंग हैं। इनमें से 125 केस का निपटारा एक साल के अंदर हुआ है, जबकि पिछले 3 सालोंं में 771 केसेस की सुनवाई पूरी हो चुकी है। अब ऐसे 2,045 केसेस पैंडिंग हैंं।" सरकार ने ये भी जानकारी दी है कि "सबसे ज्यादा सांसदों-विधायकों के खिलाफ क्रिमिनल केस 539 उत्तर प्रदेश में पैंडिंग हैं। जबकि दूसरे नंबर पर 373 केसेस केरल में पैंडिंग हैं। वहीं तमिलनाडु, बिहार और वेस्ट बंगाल में 300 से ज्यादा क्रिमिनल केस चल रहे हैं।"

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यूपी टॉप पर,तमिलनाडु दूसरे नंबर पर

सुप्रीम कोर्ट में फाइल किए गए एफिडेविट के मुताबिक, केंद्र सरकार ने जानकारी दी है कि उत्तर प्रदेश में 248 सांसदों-विधायकों के खिलाफ क्रिमिनल केस चल रहे हैं। जबकि तमिलनाडु के 178 सांसदों-विधायकों पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। इसके बाद बिहार का नंबर है, जहां 144 सांसद-विधायक हैं और चौथे नंबर पर वेस्ट बंगाल हैं, जहां के 139 सांसदों-विधायकों के खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज हैं। इस लिस्ट में आंध्र प्रदेश, केरल और तेलंगाना में 100 से ज्यादा सांसदों-विधायकों के खिलाफ क्रिमिनल केस की जांच की जा रही है।

कोर्ट ने पूछा था- कितने नेताओं पर क्रिमिनल केस?

इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पिटीशनर से पूछा था कि "कितने नेताओं पर क्रिमिनल केस पैंडिंग हैं और इनमें से किसी पर कोई लगाई गई है क्या?" इस पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि "हम नेशनल ज्यूडिशियल ग्रिड और इलेक्शन कमीशन के पास मौजूद डाटा के आधार पर एफिडेविट दायर करेंगे।"

पिटीशन में क्या की गई है मांग?

बीजेपी नेता और एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय की तरफ से फाइल की गई पिटीशन में मांग की गई है कि, आपराधिक मामलों में 2 साल या उससे ज्यादा की सजा पाने वाले नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाए। इसके साथ ही ये भी मांग की गई है कि नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाई जाए, ताकि इनसे जुड़े मामले एक साल के अंदर निपट सकें। बता दें कि अश्विनी उपाध्याय की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल दलीलें रख रहे हैं। 

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