अब बांस को पेड़ नहीं, घास माना जाएगा: पीएम मोदी
अब बांस को पेड़ नहीं, घास माना जाएगा: पीएम मोदी
- उन्होने कहा कि बांबूओं की उप्लबधता में कमी के कारण ही हमे यह बाहर से आयात करना पड़ता है।
- किसान इसे अपने ही खेत में पैदा करेंगे तो यह कमाई का नया साधन बन सकता है और किसान इससे अपना जीवन और बेहतर बना सकते हैं।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के मंडला जिले के रामनगर में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस और तीन दिवसीय आदि उत्सव के उद्घाटन समारोह में कहा कि अब बांस को पेड़ नहीं
- बल्कि घास माना जाए
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के मंडला जिले के रामनगर में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस और तीन दिवसीय आदि उत्सव के उद्घाटन समारोह में कहा कि अब बांस को पेड़ नहीं, बल्कि घास माना जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने जनजातीय सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जनजातीय लोगों को बांस गिराने के लिए दंडो का सामना करना पड़ा था, इसलिए सरकार ने यह तय किया है कि अब से बांबू को पेड़ो में नहीं बल्कि घास वर्ग में रखा जाएगा।
मोदी ने अपना भाषण गोंडी भाषा में शुरू करते हुए कहा कि विकास कार्य में पैसों की कोई कमी नहीं है, जरूरत है यह देखने कि उनका उपयोग ठीक से हो पा रहा है या नहीं। उन्होने कहा कि बांबूओं की उप्लबधता में कमी के कारण ही हमे यह बाहर से आयात करना पड़ता है, अगर किसान इसे अपने ही खेत में पैदा करेंगे तो यह कमाई का नया साधन बन सकता है और किसान इससे अपना जीवन और बेहतर बना सकते हैं।
ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री नरेन्द्र तोमर ने इस अवसर पर अपने भाषण में कहा कि "मोदी ग्रामीण विकास के लिए तत्पर है, यही कारण है कि जिसके कारण उनके नेतृत्व में इसका आवंटन चौगुना हो गया है।" तोमर ने बताया कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 2022 तक एक नया भारत उभरेगा।
इस मौके पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अक्टूबर तक हर गांव में बिजली देने का वादा किया। शिवराज सिंह ने कहा कि जनजातियों के उत्थान के लिए 2 लाख करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे।