चिड़िया के पंख पर बैठकर अपनी जन्मभूमि को देखने जाया करते थे सावरकर, कर्नाटक में आठवीं कक्षा की पुस्तक पर मचा बवाल 

कर्नाटक चिड़िया के पंख पर बैठकर अपनी जन्मभूमि को देखने जाया करते थे सावरकर, कर्नाटक में आठवीं कक्षा की पुस्तक पर मचा बवाल 

Anupam Tiwari
Update: 2022-08-28 15:08 GMT
हाईलाइट
  • 15 अगस्त के दिन भी कर्नाटक में सावरकर को लेकर काफी विवाद हुआ था

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरू। देश में जब विनायक दामोदर सावरकर की बात होती है तभी विवाद की स्थित पैदा हो जाती है। सावरकर को लेकर अक्सर बीजेपी और कांग्रेस का अलग मत रहा है। बीजेपी जहां देश की आजादी में सावरकर के महत्वपूर्ण योगदान को बताती है तो वहीं कांग्रेस हमेशा आरोप लगाती रही है कि सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी थी। जिस पर बीजेपी और कांग्रेस अक्सर आमने-सामने रहती है। हाल ही में कर्नाटक सरकार ने किताब के सिलेबस में सावरकर का अध्याय शामिल किया है। जिसके बाद फिर से विवाद शुरू हो गया है।

विपक्ष ने बीजेपी को घेरते हुए कहा है कि भाजपा फिर से इतिहास को लिखने की कोशिश कर रही है। गौरतलब है कि कक्षा-8 की किताब में लिखा है कि सावरकर जब अंडमान की जेल में बंद थे, तब चिड़िया के पंख पर बैठकर अपनी जन्मभूमि को देखने जाया करते थे, इसी को लेकर हंगामा बरपा है। लोगों का कहना है कि छात्रों में भ्रम पैदा करने की कोशिश की गई है। 

पुस्तक में जो लिखा उस पर विवाद

बताया जा रहा है कि पुस्तक के एक पद्यांश में लिखा है कि सावरकर जिस जेल में बंद थे, उस कमरे में रोशनी आने के लिए छेद भी नहीं था। फिर भी वहां पर एक बुलबुल कमरे में आती थी और रोज सावरकर उसके पंखों पर बैठकर अपनी जन्मभूमि के दर्शन करने जाया करते थे। इसी को लेकर विवाद हो रहा है। 

इस दिन भी हुआ था विवाद

गौरतलब है कि 15 अगस्त के दिन भी कर्नाटक में सावरकर को लेकर काफी विवाद हुआ था। सावरकर की कई जगह तस्वीर भी लगाई गई थी, जिसके बाद उस तस्वीर को विरोधी संगठनों हटाने पर भी अड़े थे। 

किताब पर लोगों की राय

कक्षा-8 की किताब पर बरपे विवाद को लेकर आलोचकों का कहना है कि जो पैरा किताब में लिखा है वो छात्रों के दिमाग में भ्रम डालने का काम करेगा। वहीं टेक्स्टबुक बनाने वाले लोगों की ओर से कहा जा रहा है कि इस बात को लेकर विवाद बेकार है। उनका कहना है कि इसका इस्तेमाल एक मुहावरे के तौर पर किया गया है। यह एक साहित्य का अंश मात्र है। गौरतलब है कि वीर सावरकर का यह अध्याय कक्षा-8 की कन्नड़ भाषा की किताब में है। 

लोगों को अलंकार का ज्ञान नहीं

सावरकर पर बढ़ते विवाद के बीच ही कर्नाटक टेक्स्टबुक रिविजन कमिटी के चेयरमैन रोहित चक्रतीर्थ का कहना है कि यह वाक्य अलंकार के रूप में है और इसका मतलब यह नहीं है कि सावरकर चिड़िया के पंखों पर उड़ते थे। उन्होंने आगे कहा कि यह सुनकर जरूर अजीब लग रहा है कि बहुत सारे लोगों को अलंकार का भी ज्ञान नहीं है। बताया जा रहा है विवादित पुस्तक में पद्यांश केटी गट्टी के एक यात्रा वृत्तांत से लिया गया है। हालांकि मामला राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। कांग्रेस विधायक प्रियंक खड़के ने ट्विटर पर लिखा कि यह पैसेज किसी भी तरह से मुहावरे की तरह नहीं लगता है।

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