UAPA के तहत हुए मामलों की सुनवाई करने के लिए सहमत हुआ SC

त्रिपुरा UAPA के तहत हुए मामलों की सुनवाई करने के लिए सहमत हुआ SC

ANAND VANI
Update: 2021-11-11 12:58 GMT
UAPA के तहत हुए मामलों की सुनवाई करने के लिए सहमत हुआ SC
हाईलाइट
  • गिरफ्तारी के खतरे में हैंआरोपित व्यक्ति

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरूवार को त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर लगी याचिका पर सुनवाई हुई। त्रिपुरा सरकार सोशल मीडिया पर शेयर की गई पोस्ट को लेकर कई सामाजिक पत्रकार और वकीलों पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर दिए है। याचिकाकर्ताओं ने यूएपीए में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की है। जिस पर सुनवाई करने के लिए कोर्ट सहमत हो गया।एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने हाल ही में त्रिपुरा पुलिस द्वारा इस मामले में कठोर यूएपीए लागू करने की निंदा की थी।
ये वकील पत्रकार सामाजिक कार्यकर्ता त्रिपुरा में इन घटनाओं की जांच करने वाली टीम का हिस्सा थे। सोशल मीडिया यूजर्स जिन्होंने "त्रिपुरा जल रहा है" जैसे संदेश पोस्ट किए हैं। उन पर भी यूएपीए के तहत आरोप लगाए गए हैं। अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने मामले की तत्काल सुनवाई के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश एन रमन्ना ने सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता पहले उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

एडवोकेट भूषण ने जवाब दिया कि याचिका ने यूएपीए में कुछ प्रावधानों की संवैधानिकता को भी चुनौती दी थी। वरिष्ठ वकील ने कहा कि यूएपीए के तहत आरोपित व्यक्ति "गिरफ्तारी के खतरे में हैं", और सुप्रीम कोर्ट से मामले की जल्द सुनवाई करने का आग्रह किया।

त्रिपुरा पुलिस ने पत्रकारों और कार्यकर्ताओं सहित 102 सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया है और उन पर आपराधिक साजिश और जालसाजी का आरोप लगाया है। पुलिस ने ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब को नोटिस भेजकर उनके अकाउंट फ्रीज करने और उनके बारे में जानकारी मांगी है। राज्य पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के खिलाफ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया था, जो एक तथ्य-खोज दल का हिस्सा थे, जिसने त्रिपुरा में सांप्रदायिक हिंसा की कथित घटनाओं पर एक रिपोर्ट जारी की थी।

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