मुगल गार्डन ही नहीं बल्कि इन जगहों का नाम भी बदल चुकी है सरकार, कुछ पर हुई थी जबरदस्त राजनीति

नई दिल्ली मुगल गार्डन ही नहीं बल्कि इन जगहों का नाम भी बदल चुकी है सरकार, कुछ पर हुई थी जबरदस्त राजनीति

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Update: 2023-01-28 13:20 GMT
मुगल गार्डन ही नहीं बल्कि इन जगहों का नाम भी बदल चुकी है सरकार, कुछ पर हुई थी जबरदस्त राजनीति
हाईलाइट
  • मुगल गार्डन का नाम बदलकर "अमृत उद्यान" हो गया है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मोदी सरकार में नाम बदलने का सिलसिला जारी है। अब मोदी सरकार ने राष्ट्रपति भवन में स्थित मुगल गार्डन का नाम बदलकर "अमृत उद्यान" कर दिया है। केंद्र सरकार ने कहा कि देश 'आजादी का अमृत महोत्सव' यानि कि आजादी का 75वां साल मना रहा है। इसी उपलक्ष्य में उसने मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान रखने का फैसला किया है।

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब केंद्र सरकार ने किसी स्थान का नाम बदला हो। इससे पहले भी कुछ ऐसे चर्चित जगहें रही हैं, जिनका केंद्र सरकार ने नाम तो बदला ही साथ ही स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर रखकर उन्हें सम्मान देने का भी काम किया है। आइए ऐसे ही कुछ जगहों की बात करते हैं जो पहले किसी और नाम से जाने जाते थे, लेकिन आज कुछ और ही नाम जाने जाते हैं -

राजपथ से हुआ कर्तव्य पथ

इस लिस्ट में सबसे पहले राजपथ का नाम आता है। पिछले वर्ष 7 सितंबर को केंद्र सरकार ने गुलामी की जंजीर को तोड़ते हुए राजपथ का नाम कर्तव्य पथ कर दिया था। केंद्र सरकार ने नाम बदलने के तर्क में कहा था कि आजादी के 75 साल हो गए लेकिन अग्रेजों की गुलामी का प्रतीक अभी भी है। जिसे मिटाने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। केंद्र सरकार ने न्यू इंडिया विजन बताते हुए दिल्ली के राजपथ रोड का नाम बदलकर कर्तव्य पथ रख दिया था। बीते गणतंत्र दिवस पर यह पहला मौका रहा जहां भारत ने स्वदेशी नाम के साथ कर्तव्य पथ पर अपना पराक्रम दिखाया।

हबीबगंज से रानी कमलापति तक का सफर

साल 2021 में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदला गया था। इस स्टेशन का नाम गोंड साम्राज्य की रानी कमलापति के नाम पर है। इस शानदार रेलवे स्टेशन का उद्घाटन खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। बता दें कि हबीबगंज रेलवे स्टेशन को पुनर्विकसित किया गया था। इस स्टेशन का कायाकल्प करने के बाद इसका नाम रानी कमलापति रखा गया । प्रधानमंत्री मोदी ने उद्घाटन समारोह में कहा था कि, रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर हवाई अड्डे जैसी आधुनिक सुविधाएं हैं जो यात्रियों को बेहतर सुविधा देगी।

 

ए पी जे अब्दुल कलाम को मिला सम्मान

लुटियन की दिल्ली में मुगल शासक औरंगजेब सड़क का नाम साल 2015 में बदल दिया गया था। इस सड़क का नाम औरंगजेब से हटाकर पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया। नई दिल्ली नगरपालिका परिषद से प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद इस रोड का नाम बदलकर भारत रत्न ए पी जे अब्दुल कलाम के नाम पर रख दिया गया था। कलाम साहब को एक सच्चे देशभक्त के रूप में देखा जाता है। जिन्होंने परमाणु के क्षेत्र भारत का अभिमान बढ़ाया है। इसी लिए प्यार से उन्हें "भारत का मिसाइल मैन" भी कहा जाता है।

 

इलाहाबाद से प्रयागराज हुआ

इन सब के बीच सबसे ज्यादा चर्चित रहा इलाहाबाद। जहां उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने साल 2018 में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया था। जिस पर राजनीति भी जबरदस्त हुई थी। विपक्षी नेताओं का कहना था कि योगी सरकार केवल नाम बदलने में विश्वास रखती है। अगर काम करने लगे तो प्रदेश की जनता को एक वक्त की रोटी के लिए यहां वहां भटकना नहीं पड़ेगा। जबकि सत्ता पार्टी ने मुगल काल का नाम बताते हुए स्टेशन का नया नाम प्रयागराज कर दिया था और कहा कि देश में मुगल वंश का कोई नाम नहीं रहना चाहिए। सीएम योगी ने कई स्टेशनों के नाम बदले हैं। इनमें झांसी, फैजाबाद जैसे रेलवे स्टेशनों के नाम शामिल हैं।

डलहौजी से दारा शिकोह हुआ

साल 2017 में केंद्र सरकार ने राजधानी दिल्ली की डलहौजी रोड का नाम बदल दिया था। इस सड़क को मोदी सरकार ने डलहौजी रोड से दारा शिकोह रोड कर दिया था। यह नाम मुगल बादशाह शाहजहां के सबसे बड़े बेटे के नाम पर रखा गया है। दरअसल, इतिहासकारों का मानना है कि, यह हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए जाने जाते थे। ऐसा भी कहा जाता है कि, दारा शिकोह अपना प्रजा की धार्मिक भावनाओं को कभी अनादार नहीं करते थे। बता दें कि, इस रोड का नाम ब्रिटिश शासक लॉर्ड डलहौजी के नाम पर रखा गया था।

 

 

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