पब्लिक प्लेस पर 'उर्फी जावेद' बनने की गलती लड़की पर पड़ेगी भारी, अश्लील कपड़े पहनने पर हो सकती है इतने साल की जेल और जुर्माना, जान लीजिए सख्त कानून

मेट्रो में 'बिकनी' पब्लिक प्लेस पर 'उर्फी जावेद' बनने की गलती लड़की पर पड़ेगी भारी, अश्लील कपड़े पहनने पर हो सकती है इतने साल की जेल और जुर्माना, जान लीजिए सख्त कानून

Bhaskar Hindi
Update: 2023-04-04 08:31 GMT
पब्लिक प्लेस पर 'उर्फी जावेद' बनने की गलती लड़की पर पड़ेगी भारी, अश्लील कपड़े पहनने पर हो सकती है इतने साल की जेल और जुर्माना, जान लीजिए सख्त कानून

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें एक लड़की मेट्रो के अंदर मिनी स्कर्ट और ब्रा पहने हुए दिखाई दे रही है। यह वीडियो सामने आने के बाद से ही खूब हंगामा बरपा है और कई सोशल मीडिया यूजर्स "उर्फी जावेद" से इसकी तुलना कर रहे हैं, और सवाल उठा रहे हैं कि इस तरह सार्वजनिक तौर पर ऐसी ड्रेस पहनना कहां तक उचित है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि यह अभिव्यक्ति की आजादी है कि वह क्या खाएगा और क्या पहनेगा, किसी दूसरे की इजाजत लेने की कोई जरूरत नहीं है।

दरअसल, अब इसी को लेकर सोशल मीडिया यूजर्स दो धड़ों में बंटते हुए दिखाई दे रहे हैं। लेकिन अब सवाल उठाता है कि क्या ऐसे कपड़े पहन कर आप पब्लिक प्लेस में खुलेतौर पर घूम सकते हैं? अगर आप घूम भी सकते हैं तो किस परिस्थिति में आपको यह इजाजत है। आइए जानते हैं कि इस पर हमारे देश का कानून क्या कहता है। 

क्या कहती है आईपीसी की धारा-292

आईपीसी धारा-292 किसी भी तरह की अश्लील सामग्री की ब्रिकी एवं प्रचार प्रसार पर रोक लगाने का काम करती है। यह धारा आईपीसी में अश्लीलता को परिभाषित करती है। इस धारा के अनुसार, कोई किताब, पैम्फलेट, पेपर, राइटिंग, ड्रॉइंग, पेंटिंग, प्रतिनिधित्व, आकृति या कोई अन्य वस्तु तब अश्लील मानी जाती है, जब उसे देख और पढ़ कर किसी व्यक्ति के मन में गलत ख्याल आता है। इस स्थिति में उस व्यक्ति को दोषी माना जाता है। 

सजा के प्रवाधान

  • वहीं इस हरकत में पहली बार वो दोषी पाया जाता है तो धारा 292 के तहत 2 साल की कैद की सजा और 2 हजार रूपये तक की जुर्माना लगाया जा सकता है।
  • अगर इसी तरह दूसरी बार अश्लीलता फैलाते हुए दोषी पाया जाता है तो 5 साल की कारावास और 10 हजार का जुर्माना लगाया जा सकता है।

विकास पहवा ने क्या कहा?

इस पूरे मामले पर वरिष्ठ वकील विकास पहवा ने इंडिया टुडे से बातचीत में बताया कि "भारतीय कानून के तहत "अश्लीलता" की परिभाषा सब्जेक्टिव है। हमारे देश में अश्लीलता की अवधारणा काफी हद तक लोगों पर निर्भर है। अश्लीलता लोगों की नैतिकता के मानक पर निर्भर करती है। वल्गैरिटी और ऑब्सेनिटी में अंतर है। हमने जो मेट्रो में देखा, वह अश्लील और अपमानजनक था। ऐसी कोई भी चीज जो लोगों के दिमाग को दूषित और भ्रष्ट करे, उसे अश्लील कहा जाएगा।"

डीएमआरसी ने क्या कहा?

दिल्ली मेट्रो में इस वारदात के बाद डीएमआरसी के कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस के प्रिंसिपल एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनुज दयाल ने कहा कि, मेट्रो अपने सभी यात्रियों से कहता है कि वो डीएमआरसी मेट्रो द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का पालन करें और ऐसा कोई काम ना करे, जिससे दूसरे यात्रियों को समस्या हो। उन्होंने आगे कहा कि, यात्रियों को ध्यान देना चाहिए कि हम ऐसा कुछ ना करें, कुछ ऐसा पोशाक न पहन ले जिसकी वजह से दूसरे व्यक्ति की संवेदनाओं को ठेस पहुंचे।

मेट्रो कब कर सकती है कार्रवाई

बता दें कि, डीएमआरसी की धारा 59 के मुताबिक, अगर कोई यात्री मेट्रो में सफर करते समय ऐसी कोई हरकत या गलत काम करता है जो दूसरे लोगों को परेशान या उत्तेजित करता है तो उस व्यक्ति पर कार्रवाई की जा सकती है। मेट्रो अधिनियम के मुताबिक, अश्लीलता फैलाने और मेट्रो के रूल को न फॉलो करने के संबंध में 500 रूपये का जुर्माना और टिकट को निरस्त या जमा किया जा सकता है।

हालांकि, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत कोई भी व्यक्ति अपने मन पंसद का कपड़े पहन सकता है, लेकिन यह आजादी तभी तक है जब तक आपके द्वारा पहने गए कपड़ों से किसी दूसरे व्यक्ति की भावना आहत न हो। वहीं तक आपकी अभिव्यक्ति की आजादी है।


 
 

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