गाजीपुर बॉर्डर होगा किसानों से मुक्त? बैरिकेड हटे, पहुंची पुलिस

किसान आंदोलन गाजीपुर बॉर्डर होगा किसानों से मुक्त? बैरिकेड हटे, पहुंची पुलिस

ANAND VANI
Update: 2021-10-21 10:29 GMT
गाजीपुर बॉर्डर होगा किसानों से मुक्त? बैरिकेड हटे, पहुंची पुलिस

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को किसान आंदोलन से बंद सड़कों को खुलवाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई करते समय ही शीर्ष अदालत ने साफ तौर पर कहा कि किसानों को विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है, सड़क रोकने का नहीं। और इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए।
इस पर किसान संगठनो  की ओऱ से पैरवी कर रहे एडवोकेट दुष्यंत दवे ने कहा कि सड़क को पुलिस ने बंद किया है किसानों ने नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने अब इस केस की अगली सुनवाई की तारीख 7 दिसंबर कर दी है। अदालत की सुनवाई के तुरंत बाद किसान नेता राकेश टिकैत अपने किसान भाईयों के साथ बैरिकेड हटाने लगे। साथ ही दिल्ली पुलिस भी गाजीपुर बॉर्डर पहुंच गई।
सड़क बंद किसने की पुलिस या किसान?
भारतीय किसान यूनियन ने ट्वीट किया है कि किसान भाइयों के बीच अफवाई फैलाई जा रही हैं कि गाजीपुर बॉर्डर खाली किया जा रहा है। यह पूरी तरह से झूठी अफवाह है। हम ये दिखा रहे है कि सड़क को बंद किसानों की तरफ से नहीं बल्कि पुलिस ने बंद किया है।
सरकार की तरफ से पेश हुए वकील तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान गणतंत्र दिवस के दिन 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा का मामला कोर्ट के सामने उठाया। मेहता ने कहा कि कृषि कानूनों पर कोर्ट पहले ही रोक लगा चुका है। इसके बाद भी आंदोलन चालू है। कोर्ट को बताते हुए मेहता ने कहा कि कभी कभी आंदोलनों का मकसद वास्तविक कारणों के अलावा कुछ औऱ होता है। ये किसानों के द्वारा किए जा रहे आंदोलन पर सवालिया निशान लगा देते है

अदालत की कड़ी फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के वक्त के कहा कि विरोध करने का हर किसी को अधिकार है, लेकिन इस तरह का प्रदर्शन नहीं की सड़क को कोई रोक दें। कोर्ट ने पहले से मौजूद कानून का हवाले देते हुए कहा कि रास्ते बंद करने का कोई कानून हिजाजत नहीं देता फिर हमें बार बार ये क्यों बताना पड़ता है। जस्टिस एस के कौल ने कहा कि सड़कें साफ होना चाहिए। किसानों को विरोध करने का अधिकार है लेकिन सड़क जाम नहीं रख सकते। अदालत ने कहा हम किसी अन्य मुद्दे पर नहीं जाएंगे, याचिका केवल सड़क खुलवाने से जुडी है। हम इसी पर सुनवाई करेगे। अदालत ने कहा हमने इस मामले में 43 किसान संगठनों के समूहों को नोटिस भेजा था। उसमें से केवल 4 संगठन ही सुनवाई में आए है।
 

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