चूहों पर लूटी सरकारी संपत्ति: रेलवे ने 168 चूहों को पकड़ने के लिए लाखों रुपये लूटाए? बात बढ़ने पर लखनऊ मंडल ने दिया जवाब, जानें

  • चूहों को पकड़ने में खर्च हुए लाखों रुपये!
  • रेलवे की ओर से आया जवाब

Raj Singh
Update: 2023-09-17 07:50 GMT

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर रेलवे चूहों से छुटकारा पाने के लिए हर संभव प्रयास किया है। इसके लिए लाखों रुपये तक खर्च कर दिए हैं। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एक चूहा को पकड़ने के लिए रेलवे ने करीब 41 हजार रुपये खर्च किया है। साथ ही 3 साल में 69 लाख रुपये चूहों को पकड़ने के लिए खर्च किया गया है।

आरटीआई के मुताबिक, उत्तर रेलवे ने चूहों के आतंक से बचने के लिए एक साल में 23.2 लाख रुपये खर्च किए हैं। लेकिन मीडिया में अलग-अलग खबरों के चलने की वजह से अब लखनऊ मंडल ने इसका जवाब दिया है और 69 लाख रुपये खर्च होने की बात का खंडन किया है।

अधिकारी ने किया खंडन

इंडिया टुडे की रिपोर्ट्स के मुताबिक, लखनऊ मंडल में पदस्थ सीनियर डिविजनल कमर्शियल मैनेजर रेखा शर्मा ने इस बात को गलत बताया है, जो मीडिया में चल रही है। रेखा ने कहा कि, गलत तरीके से जानकारी पेश की जा रही है। इस मामले पर रेखा ने सफाई देते हुए कहा है कि ये जानकारी गलत तरीके से पेश की जा रही है।

रेलवे ने क्या कहा?

इस पूरे मामले पर रेलवे ने कहा कि लखनऊ मंडल में कीट और चूहों को कंट्रोल करने का जिम्मा गोमतीनगर स्थित मेसर्स सेंट्रल वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन को दी गई है जो भारत सरकार का उपक्रम है। जिसका उद्देश्य चूहों और कीटो को कंट्रोल करना है। इसमें स्टेबलिंग, फ्लशिंग, और छिड़काव रखरखाव करना जैसे कई काम शामिल हैं। रेलवे लाइनों को कॉकरोच और कीटों से बचाना एवं चूहों को ट्रेन की बोगी में घूसने से रोकना होता है। इसके अलावा रेलवे ने बताया कि, इसमें चूहों को पकड़ना शामिल नहीं बल्कि उन्हें बढ़ने से रोकना है। रेलवे ने जोर देकर कहा कि, जो एक चूहे पर 41 हजार का खर्च बताया जा रहा वो गलत है। इस बात में किसी तरह की कोई सच्चाई नहीं है।

कितने खर्च हुए रुपये?

मीडिया रिपोर्ट में चूहों के खर्च पर रेलवे को लेकर कहा गया था कि हर साल चूहों को पकड़ने में 23.2 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। तीन साल के दौरान 69 लाख रुपये खर्च हुए हैं और उनसे मात्र 168 ही चूहों को पकड़ा गया है। रेलवे अधिकारी का कहना है कि 25 हजार डिब्बों में चूहों को कंट्रोल करने के लिए जो राशि खर्च की गई है, वह 94 हजार रुपये प्रति बोगी है।

क्या है मामला?

इस बात की जानकारी मध्य प्रदेश के आरटीआई एक्टिविस्ट चंद्रशेखर गौड़ की और से मांगी गई थी। रेलवे ने पांच मंडल दिल्ली, अंबाला, लखनऊ, फिरोजपुर और मुरादाबाद से जानकारी मांगी थी, जिसमें से सिर्फ लखनऊ मंडल ने जवाब दिया है अब इसी को लेकर हंगामा बरपा है।

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