रामलला प्राण प्रतिष्ठा: जिस सरयू में पीएम मोदी लगाएंगे डुबकी, क्या है उस नदी की खासियत? महादेव ने दिया था श्राप, भगवान राम ने ली थी समाधि

  • सरयू नदी को मिला है भोलेनाथ का श्राप
  • जानिए इस श्राप की वजह और पूरा रहस्य
  • इसी में पीएम मोदी लगा सकते हैं डुबकी

Shiv Pathak
Update: 2024-01-20 12:34 GMT

डिजिटल डेस्क, अयोध्या। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। लोगों में इसको लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। 22 जनवरी को देश के कई राज्यों में छुट्टी का एलान कर दिया गया है। ऐसे में एक खबर सामने आई है कि प्रधानमंत्री मोदी सरयू नदी में स्नान कर सकते हैं। बता दें कि सरयू के पानी को बेहद पवित्र माना जाता है। इसमें स्नान करने से सभी तीर्थों के दर्शन का फल मिलता है। मगर क्या आपको पता है जो सरयू नदी इतनी पवित्र है। उसे भगवान भोलेनाथ का श्राप मिला हुआ है। आइए इस श्राप की पूरी कहानी जानते हैं।

रामचरित मानस में है सरयू को वर्णन

रामचरित मानस के अनुसार, एक बार भगवान श्री राम ने लक्ष्मण को सरयू नदी के पवित्रता के बारे में बताया था। इसके मुताबिक अगर कोई व्यक्ति ब्रह्म मुहूर्त के समय सरयू में स्नान करता है तो उसे सभी तीर्थ स्थानों के दर्शन के पुण्य की प्राप्ति होती है। सरयू नदी में शारदा नदी का समागम है। पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रभु श्री राम के पूर्वज भागीरथ ने सरयू नदी में गंगा का संगम कराया था।

क्यों दिया भगवान शिव ने श्राप?

रामायण के अंत में प्रभु श्री राम ने सरयू में समाधि लेकर अपनी लीला समाप्त की थी। जिसके बाद रामजी की समाधि बनने वाली सरयू नदी पर भोलेनाथ का गुस्सा भी फूटा था। उन्होंने सरयू नदी को श्राप दिया था कि तुम्हारा जल किसी पूजा-पाठ और मंदिर में चढ़ाने के लिए इस्तेमाल नहीं होगा।

इसके बाद माता सरयू शिव के चरणों में जाकर बोली "प्रभु इसमें मेरा क्या दोष है? यह तो विधि का विधान है। मैं आपसे विनती करती हूं कि आप श्राप वापस ले लिजिए।" भोलेनाथ ने कहा कि मैं श्राप तो वापस नहीं ले पाउंगा। मगर जो भी तुम्हारे जल में स्नान करेगा उसके पाप धुल जाएंगे।

प्रधानमंत्री लगा सकते हैं सरयू में डुबकी

22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम होने से पहले या होने के बात प्रधानमंत्री मोदी कच्चा घाट पर सरयू में डुबकी लगा सकते हैं। यह वही स्थान होगा जहां शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोलर बोट का लोकापर्ण किया था। इस पावन अवसर के लिए 16 जनवरी को सरयू नदी में तीन हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। ताकि प्रधानमंत्री स्नान करें तो पर्याप्त जल हो।

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