अपराध: नेहा शर्मा हत्याकांड में उदय सरूप को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी जमानत

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मार्च 2013 में आगरा के दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट की जूलॉजी लैब में पीएचडी छात्रा नेहा शर्मा (23) की हत्या के आरोपी उदय सरूप को जमानत दे दी है। इस मामले में न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने जमानत देने के लिए अभियुक्त की लंबी कारावास अवधि का हवाला दिया है।

IANS News
Update: 2024-05-09 15:39 GMT

नई दिल्ली, 9 मई (आईएएनएस)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मार्च 2013 में आगरा के दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट की जूलॉजी लैब में पीएचडी छात्रा नेहा शर्मा (23) की हत्या के आरोपी उदय सरूप को जमानत दे दी है। इस मामले में न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने जमानत देने के लिए अभियुक्त की लंबी कारावास अवधि का हवाला दिया है।

उन्होंने कहा, "इस अदालत का भी मानना ​​है कि यद्यपि योग्यता के आधार पर विस्तृत चर्चा की आवश्यकता नहीं है, लेकिन कम से कम जमानत को खारिज करने या देने के आदेश में इसके मूल कारण को दर्शाया जाना चाहिए।"

उदय सरूप को घटना के एक महीने बाद पुलिस ने धारा 302 (हत्या), 376 (बलात्कार) और 511 (आजीवन कारावास के साथ दंडनीय अपराध करने का प्रयास) के तहत गिरफ्तार किया था। पुलिस द्वारा आरोप पत्र दायर करने के बाद मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित कर दिया गया था। 2014 में, अदालत ने उपरोक्त धाराओं के तहत आरोपी को जमानत दे दी थी।

हालांकि, सीबीआई द्वारा 2015 में धारा 302, 376 और 201 (अपराध के सबूतों को गायब करने) के तहत एक पूरक आरोपपत्र दायर करने के बाद उदय को 2016 में फिर से हिरासत में ले लिया गया था। इसी बीच, पीड़िता के पिता ने आरोपी को जमानत देने के अदालत के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। बाद में 2019 में उदय की गिरफ्तारी के बाद से सुप्रीम कोर्ट ने मामले को खत्म कर दिया था।

सीबीआई ने आरोप लगाया कि लड़की के प्रस्ताव ठुकराने के बाद ही उदय सरूप ने हत्या की साजिश रची थी। जांच एजेंसी ने अपनी चार्जशीट में कहा था कि उदय ने लैब में युवती को अकेला पाकर उसके साथ दुष्कर्म किया और उसकी हत्या कर दी। उदय सरूप की जमानत पर न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि अभियोजन पक्ष के मामले के अनुसार, घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं था और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बलात्कार का कोई संकेत नहीं मिला।

हालांकि, अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष का मामला काफी हद तक सीडीएफडी रिपोर्ट पर निर्भर करता है, जिसमें डीएनए साक्ष्य आरोपियों को अपराध स्थल से जोड़ते हैं। इसके अलावा, अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के सभी 55 गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं, जिससे सबूतों के साथ छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं है। इसके साथ ही आरोपी की लंबी हिरासत अवधि, मुकदमे में आवेदक के सहयोग और गवाहों से छेड़छाड़ की संभावनाओं की अनुपस्थिति को देखते हुए, अदालत ने उदय को जमानत दी है।

अदालत ने जमानत के लिए कुछ शर्तें लगाते हुए कहा कि सरूप को मुकदमे की प्रक्रिया में सहयोग करना होगा, आपराधिक गतिविधियों से दूर रहना होगा और देश नहीं छोड़ना होगा।

उदय सरूप सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी प्रेम कुमार के पोते हैं। उनके दादा दयालबाग सत्संग सभा के अध्यक्ष भी थे।

गौरतलब है कि आगरा पुलिस ने पहले लैब टेक्नीशियन यशवीर संधू पर हत्या का आरोप तय किया था। हालांकि, सीबीआई ने उनके खिलाफ उन आरोपों को हटा दिया और कहा कि अपराध के समय उदय और नेहा ही मौके पर मौजूद थे।

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