स्वास्थ्य/चिकित्सा: अंतरिम बजट 2024 डॉक्टरों ने लड़कियों के लिए सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन पर जोर की सराहना की

डॉक्टरों ने 9-14 साल की लड़कियों के लिए सर्वाइकल कैंसर टीकाकरण को बढ़ावा देने के लिए गुरुवार को सरकार की सराहना की।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-07 13:19 GMT

नई दिल्ली, 1 फरवरी (आईएएनएस)। डॉक्टरों ने 9-14 साल की लड़कियों के लिए सर्वाइकल कैंसर टीकाकरण को बढ़ावा देने के लिए गुरुवार को सरकार की सराहना की।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज अंतरिम बजट पेश करते हुए कहा कि सरकार सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए 9 से 14 साल की लड़कियों के टीकाकरण को बढ़ावा देगी।

उन्होंने कहा, "सरकार पात्र श्रेणियों के बीच इस टीकाकरण को प्रोत्साहित करेगी।"

सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पेपिलोमावायरस से जुड़ा है और टीके इसे रोक सकते हैं। यह भारतीय महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौत का दूसरा प्रमुख कारण है। इसलिए सर्वाइकल कैंसर से बचाने वाला टीका इस बीमारी के खिलाफ एक बहुत ही महत्वपूर्ण जीवन रक्षक उपाय है।

बेंगलुरु के मणिपाल अस्पताल में बाल चिकित्सा सलाहकार डॉ. अनुराधा विनोद ने आईएएनएस को बताया, "मेरा मानना है कि भारत में युवाओं में सर्वाइकल के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह एक अच्छा फैसला और बहुत जरूरी कदम है।"

उन्होंने कहा, "वैक्सीन ने उन लोगों में सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम में उच्च प्रभावकारिता दर साबित की है, जिन्होंने वैक्सीन प्राप्त की है, उन लोगों की तुलना में जिन्होंने वैक्सीन नहीं ली है।"

एचपीवी टीकों की सफलता दर 88 प्रतिशत है। "हम जो टीकाकरण कार्यक्रम देते हैं वह 15 वर्ष से पहले 2 खुराक और 15 से 26 वर्ष के बाद 3 खुराक है। मानव पैपिलोमावायरस के संपर्क में आने से पहले टीका देना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि 15 वर्ष से 26 वर्ष के बीच।

गुरुग्राम स्थित फोर्टिस अस्पताल में गायनी ऑन्कोलॉजी विभाग की प्रधान निदेशक डॉ. रमा जोशी ने आईएएनएस को बताया, "एचपीवी वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर की प्राथमिक रोकथाम में सहायता करती है जो एचपीवी संक्रमण के खतरे को रोकती है जो सर्वाइकल कैंसर का कारण है। यह 9 से 14 वर्ष की आयु में दिए जाने पर सबसे प्रभावी है।"

सर्वाइकल कैंसर भारतीय महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है, जो इस जनसांख्यिकीय समूह में होने वाले सभी कैंसर का लगभग 18 प्रतिशत है। द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के अनुसार, सर्वाइकल कैंसर के हर पाँच मामलों में से एक या 21 प्रतिशत भारत में होता है।

देश में लगभग हर चार में से एक यानी 23 प्रतिशत मौत का कारण कैंसर है।

इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (आईएपी) के अनुसार, डॉक्टर अब किशोर लड़कों को भी पेनाइल कैंसर के खतरों से बचाने के लिए सर्वाइकल वैक्सीन के टीके लगाने की सलाह दे रहे हैं। उसके अनुसार, 27 से 45 वर्ष की उम्र की महिलाएं भी एचपीवी वैक्सीन लगवा सकती हैं, हालांकि इस उम्र में इसे लगवाने से वैक्सीन की प्रभावशीलता कम हो जाती है और इसे स्त्री रोग विशेषज्ञ से उचित परामर्श के बाद ही लेना चाहिए।

फ़रीदाबाद स्थित मारेंगो एशिया हॉस्पिटल्स में ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. सनी जैन ने आईएएनएस से कहा, "सर्वाइकल कैंसर का टीका महिलाओं को एचपीवी वायरस से प्रेरित कार्सिनोमा सर्विक्स से बचाता है और उनकी रक्षा करता है। हमें खुशी है कि सरकार कैंसर की रोकथाम के लिए मजबूत प्रयास कर रही है और इसमें 9-14 वर्ष की लड़कियों के लिए सर्वाइकल कैंसर का टीकाकरण शामिल है।"

वर्तमान में, विभिन्न प्रकार के एचपीवी टीके हैं जो विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से बचाते हैं। अमेरिकी मल्टीनेशनल मर्क का एचपीवी शॉट गार्डासिल भी बाजार में 10,850 रुपये में उपलब्ध है। जीएसके द्वारा एक अन्य उत्पाद सर्वारिक्स को 2022 में भारत से वापस ले लिया गया था। भारत के पास सर्वाइकल कैंसर के लिए एक स्वदेशी टीका भी है, जो सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित है। लेकिन इसकी कीमत 2,200 रुपये है।

डॉ. विनोद ने कहा, "टीकों के प्रभाव को देखते हुए उनकी कीमत अधिक है, इसलिए किशोरावस्था से पहले सभी किशोरों को टीका लगाने के उपायों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि इस कार्यक्रम के तहत, टीका रियायती दरों पर उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे भारत को गर्भाशय के कैंसर के मामलों के बोझ को कम करने में मदद मिलेगी।"

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