आईएएनएस न्यूज प्वाइंट: मध्य प्रदेश में उपचुनाव की सुगबुगाहट

मध्य प्रदेश में लोकसभा के लिए चार चरणों में मतदान हो चुका है और अभी नतीजे आने शेष हैं, मगर विधानसभा के उपचुनाव को लेकर सुगबुगाहट तेज हो चली है। इसकी वजह भी है - कांग्रेस के तीन विधायकों ने भाजपा का दामन थामा है, वहीं पांच विधायक लोकसभा चुनाव में ताल ठोक रहे हैं।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-16 05:16 GMT

भोपाल 16 मई (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में लोकसभा के लिए चार चरणों में मतदान हो चुका है और अभी नतीजे आने शेष हैं, मगर विधानसभा के उपचुनाव को लेकर सुगबुगाहट तेज हो चली है। इसकी वजह भी है - कांग्रेस के तीन विधायकों ने भाजपा का दामन थामा है, वहीं पांच विधायक लोकसभा चुनाव में ताल ठोक रहे हैं।

राज्य में आगामी समय में तीन से आठ विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना तय है। यह इसलिए संभव है क्योंकि कांग्रेस के तीन विधायक छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा से कमलेश शाह, सागर जिले के बीना विधानसभा क्षेत्र से निर्मला सप्रे और श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा सीट से रामनिवास रावत ने भाजपा का दामन थाम लिया है। इस तरह आगामी समय में इन तीनों सीटों पर उपचुनाव होना तय है।

इसके अलावा भाजपा तथा कांग्रेस ने पांच विधायकों को लोकसभा का उम्मीदवार बनाया है।

राज्य में लोकसभा की 29 सीटें हैं, जहां चार चरणों में मतदान हो चुका है और चुनावी नतीजे चार जून को आएंगे। पांच स्थानों पर वर्तमान विधायक चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा ने बुधनी से विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को विदिशा से उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने सतना से विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को सतना संसदीय क्षेत्र, डिंडोरी से विधायक ओमकार सिंह मरकाम को मंडला संसदीय क्षेत्र से, पुष्पराजगढ़ से विधायक फुन्देलाल मार्को को शहडोल से और तराना से विधायक महेश परमार को उज्जैन संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है।

इस तरह राज्य में तीन विधायकों के पाला बदलने से उपचुनाव तय है तो वहीं जो पांच विधायक लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं उनकी जीत और हार के आधार पर अन्य स्थानों पर भी उपचुनाव संभाव है। इसी संभावना ने कई दावेदारों को अभी से उपचुनाव में उम्मीदवार बनने के लिए सक्रिय कर दिया है।

भाजपा और कांग्रेस के भीतर भी विधानसभा के उप चुनाव को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। संभावना इस बात की जताई जा रही है कि भाजपा उन तीन स्थानों से कांग्रेस से आए विधायकों को ही उम्मीदवार बनाएगी, तो वहीं कांग्रेस नए चेहरों पर दाव लगा सकती है। इसके अलावा लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद दोनों ही दल नए सिरे से उम्मीदवार की खोज में जुट जाएंगे।

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