अमेठी लोकसभा चुनाव 2024: राहुल गांधी के सस्पेंस और स्मृति ईरानी की उम्मीदवारी के बीच बसपा के कैंडिडेट की एंट्री, सीट पर होगा त्रिकोणीय मुकाबला

  • अमेठी सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी का ऐलान बाकी
  • बसपा ने अपने प्रत्याशी का किया ऐलान
  • भाजपा,कांग्रेस और बसपा में त्रिकोणीय मुकाबला

Surbhit Singh
Update: 2024-04-29 11:54 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के दो चरणों के मतदान के बाद सियासी दलों ने अब भी कुछ सीटों पर अपने कैंडिडेट् की घोषणा नहीं की है। उत्तरप्रदेश की 14 सीटों (मोहनलालगंज, लखनऊ, रायबरेली, अमेठी, जालौन, झांसी, हमीरपुर, बांदा, फतेहपुर, कौशांबी, बाराबंकी, फैजाबाद, कैसरगंज और गोंडा) पर 20 मई को पांचवे चरण का मतदान होना है। कांग्रेस ने रायबरेली और अमेठी सीटों पर प्रत्याशी के नाम से पर्दा नहीं उठाया है। ये दोनों हाईप्रोफाइल सीटें कांग्रेस के गांधी परिवार का गढ़ रही हैं। अमेठी की बात करें तो कांग्रेस एक बार फिर से राहुल गांधी को उतारने का विचार कर रही है। हालांकि, अब तक कांग्रेस नेता के नाम पर मुहर नहीं लग पाई है। भाजपा ने इस सीट पर मौजूदा सांसद और प्रत्याशी स्मृति ईरानी को दोबारा चुनावी मैदान में उतारा है। जिन्होंने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार राहुल गांधी को भारी मतों के साथ हराया था। अमेठी सीट पर स्मृति की उम्मीदवारी और राहुल के नाम सस्पेंस की बीच बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है।

इस बार अमेठी लोकसभा सीट पर बसपा ने रविप्रकाश मौर्य पर भरोसा जताते हुए उन्हें चुनावी मैदान में उतारा है। इसी के साथ अब इस सीट पर भाजपा, कांग्रेस और बसपा के बीच त्रिकोणिय मुकाबला होने जा रहा है। साल 2022 में उत्तप्रदेश विधानसभा चुनाव में रविप्रकाश ने बसपा के टिकट पर अयोध्या से चुनाव लड़ा था। जिसमें उन्हें तगड़ी हार झेलनी पड़ी थी। इस बीच अब सवाल यह उठ रहा है कि बसपा के इस दाव से कांग्रेस और भाजपा में से किसे हार का मुंह देखा पड़ सकता है?

बसपा ने अपने प्रत्याशी का पत्ता खोलकर भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस के इंडिया गठबंधन की मुश्किलें बड़ा दी है। इंडी ब्लॉक में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जातिगत जनगणना मुद्दे के आधार पर ओबीसी वोट को साधने का प्रयास कर रही है। ऐसे में बसपा ने ओबीसी कैंडिडेट का कार्ड आजमा कर इंडिया गठबंधन की टेंशन बड़ा दी है। हालांकि, बसपा का यह दाव ना तो इंडिया गठबंधन के खिलाफ है और ना ही एनडीए के पक्ष में है।

भाजपा-कांग्रेस को नुकसान!

साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में मतदान के आकड़ों को देखने से पता चलता है कि इस बार अमेठी सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले के तहत एनडीए और इंडिया गठबंधन को नुकसान होने की संभावना अधिक है। दरअसल, साल 2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो तब अमेठी सीट पर कांग्रेस से राहुल गांधी, भाजपा से स्मृति ईरानी, आप से कुमार विश्वास और बसपा से धर्मेंद्र प्रताप सिंह चुनावी मैदान में थे। उस दौरान राहुल गांधी ने 4 लाख 8 हजार वोटों के साथ जीत दर्ज की थी। दूसरे स्थान पर स्मृति ईरानी को 3 लाख 748 वोट हासिल हुई थे। जबकि तीसरे स्थान पर धर्मेंद्र प्रताप को 57 हजार 716 वोटों मिले थे।

यूपी की प्रमुख दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने साल 2019 का लोकसभा चुनाव गठबंधन के तहत लड़ा था। तब दोनों ही पार्टियां अमेठी सीट पर राहुल की उम्मीदवारी के पक्ष में थे। हालांकि, इस सीट पर स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को 55,120 वोटों के मार्जिन के साथ हरा दिया था। राहुल गांधी को 4 लाख 13 हजार 394 वोट मिले थे। जबकि स्मृति ईरानी को 4 लाख 68 हजार 514 वोट हासिल हुए थे। इसके बाद राहुल गांधी के हार का कारण चुनाव में बसपा प्रत्याशी का ना होना बताया गया था। जिसके चलते दलित वोटर्स का रुझान भाजपा की तरफ चला गया था। इस वजह से गांधी परिवार को अपने ही गढ़ में हारना पड़ा था।

चुनावी समीकरण पर पड़ेगा असर 

बसपा ने इस बार अमेठी सीट पर ओबीसी चेहरे पर दाव आजमाया है। भाजपा के पूर्व के लोकसभा चुनावों की जीत में उत्तप्रदेश में ओबीसी वोटर्स को बड़ा फैक्टर माना गया है। इस बारे में सीएसडीएस की एक रिपोर्ट ने पुष्टि की है। इसमें बताया गया है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की यूपी से लगभग 70 प्रतिशत ओबीसी वोट प्राप्त हुआ था। भाजपा को कुर्मी और कोरी वर्ग से 80 प्रतिशत वोट मिला था। इस बार बसपा के इस वर्ग से ओबीसी कैंडिडेट का दाव समृति ईरानी की उम्मीदवारी पर हावी हो सकता है।

अमेठी सीट से बसपा उम्मीदवार रविप्रकाश मौर्य ने साल 2022 के यूपी विधानसभा में अयोध्या की सीट पर चुनाव लड़ा था। इस दौरान उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। रविप्रकाश अयोध्या के रहने वाले हैं। वह काफी अरसे से राजनीति में एक्टिव हैं। रविप्रकाश कोइरी समाज से ताल्लुक रखते हैं। अमेठी संसदीय क्षेत्र में कोइरी समाज के करीब डेढ़ लाख वोटर्स हैं। यदि इस क्षेत्र में जातिगत समीकरण 17 लाख मतदाताओं का हैं। जिनमें से 34 प्रतिशत ओबीसी वर्ग के वोर्टस है। इसके अलावा अमेठी सीट पर ब्राह्मण 8, मुस्लिम 20 , ठाकुर 12 और दलित 26 प्रतिशत वोटर्स हैं।

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