डराने वाले हैं मप्र के आर्थिक हालात, शिवराज सरकार ने फिर लिया 2000 करोड़ का कर्ज, जानिए क्या होगा जनता पर असर

डराने वाले हैं मप्र के आर्थिक हालात, शिवराज सरकार ने फिर लिया 2000 करोड़ का कर्ज, जानिए क्या होगा जनता पर असर

Bhaskar Hindi
Update: 2020-12-20 14:02 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। कोरोना काल के बीच मध्यप्रदेश की सत्ता संभालने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने इस वक्त प्रदेश की आर्थिक स्थिति सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। इसके लिए सरकार को बार-बार कर्ज लेना पड़ रहा है। हाल ही में शिवराज सरकार ने 20 साल की अवधि के लिए दो हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। शिवराज सिंह की यह कर्जनीति अब सियासी तकरार की वजह भी बनती जा रही है और विपक्ष भी इसे लेकर सरकार पर हमला करने से नहीं चूक रहा। 

क्या कहा कांग्रेस ने?
मध्यप्रदेश कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा, अपनी ग़लत नीतियों और बेलगाम भ्रष्टाचार से मध्यप्रदेश का खजाना खाली करने वाले शिवराज ने फिर 2000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। शिवराज जी, ये कर्ज नहीं, आपकी ग़लत आर्थिक नीतियों के सबूत हैं। बता दें कि मौजूदा वक्त में प्रदेश पर कुल कर्ज 2 लाख करोड़ से ज्यादा हो चुका है। 2018 के अंत में यह कर्ज 1 लाख 80 हजार करोड़ था। हाल में लिए 2000 करोड़ रुपए के कर्ज के बाद मौजूदा वित्त वर्ष में कर्ज का आंकड़ा 16500 करोड़ रुपए पहुंच चुका है। इसका असर जनता को बढ़े हुए टैक्स के रूप में चुकाना पड़ सकता है। जैसा कि मप्र में इस समय पेट्रोल और डीजल पर देश में सबसे ज्यादा टैक्स राज्य सरकार वसूल कर रही है।

 

 

कब कितना कर्ज लिया
1 अप्रैल -     500 करोड़
30 मई -      500 करोड़
6 जून -       500 करोड़
3 जुलाई -   1000 करोड़
8 जुलाई -   1000 करोड़
13 जुलाई-     1000 करोड़
7 अगस्त -     1000 करोड़
5 सितंबर -     1000 करोड़
15 सितंबर -     1000 करोड़
3 अक्टूबर -     1000 करोड़
8 अक्टूबर -     1000 करोड़
15 अक्टूबर -     1000 करोड़
29 अक्टूबर -     1000 करोड़
5 नवंबर -     1000 करोड़
12 नवंबर -     1000 करोड़
18 नवंबर -     1000 करोड़
18 दिसंबर-    2000 करोड़

कोरोना की वजह से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित 
दरअसल, इस बार कोरोना संक्रमण की वजह से देश और प्रदेश में आर्थिक गतिविधियां प्रभावित रही हैं। न तो केंद्र सरकार से पर्याप्त आर्थिक सहायता मिल पाई और न ही राज्य के करों से आय हुई। राज्य सरकार के खर्चे भी बढ़ गए है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से अतिरिक्त ऋण लेने की अनुमति मांगी थी, जिसे केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने सशर्त मंजूरी दी थी।

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