इन वजहों से भाजपा से गठबंधन तोड़ने पर मजबूर हुए नीतीश, 'प्लान 200' का सता रहा था डर 

यू बढ़ीं भाजपा-जदयू के बीच दूरियां इन वजहों से भाजपा से गठबंधन तोड़ने पर मजबूर हुए नीतीश, 'प्लान 200' का सता रहा था डर 

Anchal Shridhar
Update: 2022-08-09 16:33 GMT
इन वजहों से भाजपा से गठबंधन तोड़ने पर मजबूर हुए नीतीश, 'प्लान 200' का सता रहा था डर 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार की राजनीति ने एकबार फिर से करवट ले ली है। बीते कई दिनों से बीजेपी और जदयू के बीच आपसी तकरार देखने को मिल रही थी। नीतीश कुमार ने मंगलवार को करीब 5 साल बाद एनडीए गठनबंधन छोड़कर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर एकबार फिर से अपने पुराने साथी आरजेडी का हाथ थाम लिया है। नीतीश कुमार ने अगर बीजेपी का साथ छोड़ आरजेडी का हाथ थामा है तो इसके पीछे कुछ वजहें हैं। उन वजहों में से एक बड़ी वजह भाजपा का "प्लान 200" भी बताया जा रहा है।

क्या है भाजपा का प्लान 200

दरअसल, भाजपा ने 30 और 31 जुलाई को दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में भाजपा ने 2025 बिहार विधानसभा चुनाव के लिए प्रवास कार्यक्रम का ऐलान किया था। इसके तहत बीजेपी द्वारा बिहार की 200 विधानसभा सीटों पर खुद को मजबूत करना था।

इस प्लान के बारे में बिहार बीजेपी के सह-प्रभारी हरीश द्विवेदी ने बताया था कि बीजेपी के नेता आने वाले समय में प्रदेश की सभी 243 सीटों पर प्रवास कार्यक्रम करेंगे। भाजपा के इस प्रवास कार्यक्रम तैयारी को जेडीयू के लिए चेतावनी के तौर पर भी देखा गया था। भाजपा बीते कुछ सालों में जिस तरह से बिहार में मजबूत हुई है, उसमें जदयू बिहार राजनीतिक के मुकाबले में कहीं पीछे छुट रही थी। सामाजिक समीकरणों के लिहाज से भी भाजपा बिहार में मजबूत स्थिति में है। ऐसे में नीतीश को यह भी चिंता सता रही थी कि कहीं उनका भी हाल उद्धव ठाकरे जैसा न हो जाए। 

विधानसभा चुनाव के बाद चिंता में थे नीतीश 

साल 2020 बिहार विधानसभा चुनाव के बाद जदयू की चिंता बढं गई थी। उस समय भाजपा ने 74 सीटों पर शानदार जीत हासिल की थी। तो वहीं जदयू मात्र 43 सीटों पर सिमट गई थी। इस तरह भाजपा बिहार में दुसरी सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरी। इसका असर बिहार में सरकार बनाते समय एनडीए गठनबंधन के ऊपर भी पड़ा।

इसके बाद नीतीश कुमार के भाजपा के सबसे करीब सुशील कुमार मोदी को डिप्टी सीएम के पद से भाजपा ने  हटा दिया। इसके साथ ही भाजपा ने जिन नेताओं को बिहार की राजनीति में चुना वह अमित शाह के करीबी माने जाते थे। और वे सभी नेता नीतीश कुमार के खिलाफ बयानबाजी करते रहे थें।  

अगले विधानसभा चुनाव मे कम सीट लाने का डर 

नीतीश कुमार को इस बात का भी डर सता रहा था कि यदि भाजपा 200 सीटों पर तैयारी करेगी तो वह आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में ज्यादा से ज्यादा सीटों की मांग करेगी। इस हिसाब से जदयू बिहार की राजनीति में कम सीटों पर सिमट जाएगी। गौरतलब है कि अगले विधानसभा चुनाव मे कम सीट लाने के डर ने उन्हें भाजपा से गठबंधन तोड़ने पर मजबूर किया। हालांकि नीतीश का आरजेडी से सामांजस्य बनाए रखना सरल नहीं होगा। 

जेपी नड्डा के बयान से भी जदयू में मची थी खलबली 

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राष्ट्रीय मोर्चां की बैठक में एक बड़ा बयान दिया था। जिसमें उन्होंने कहा कि सब दल खत्म हो जाएंगे, सिर्फ भाजपा बच जाएगी। इस बयान को जदयू ने गंभीरता से लिया। यह भी जदयू का बीजेपी से गठबंधन खत्म करने की बड़ी वजहों में से एक है। नड्डा के इस भाषण का जिक्र मंगलवार की शाम तेजस्वी यादव ने मीडिया से बात करते हुए किया। बता दें कि वीआईपी के विधायकों को जब बीजेपी ने अपने पार्टी में शामिल कर लिया था तब भी भाजपा-जदयू के बीच दूरियां बढ़ने की बातें सामने आईं थीं।  


 

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