मुस्लिम विरोध करते तो देश में एक भी हिंदू नहीं रह जाता : पूर्व न्ययाधीश

कर्नाटक मुस्लिम विरोध करते तो देश में एक भी हिंदू नहीं रह जाता : पूर्व न्ययाधीश

IANS News
Update: 2022-12-02 09:00 GMT
मुस्लिम विरोध करते तो देश में एक भी हिंदू नहीं रह जाता : पूर्व न्ययाधीश

डिजिटल डेस्क, विजयपुरा । सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश वसंत मुलसावलागी के इस बयान ने राज्य में विवाद खड़ा कर दिया है कि भारत में हिंदू इसलिए बचे हैं, क्योंकि मुस्लिम शासकों ने उन्हें रहने दिया।मुलसावलागी ने कहा,अगर मुसलमानों ने मुगल शासन के दौरान हिंदुओं का विरोध किया होता तो भारत में एक भी हिंदू नहीं बचा होता, वे सभी हिंदुओं को मार सकते थे। उन्होंने सैकड़ों वर्षों तक शासन किया, फिर भी देश में मुसलमान अल्पसंख्यक क्यों हैं?

सेवानिवृत्त न्यायाधीश ने क्या संविधान के उद्देश्य पूरे हुए? शीर्षक से राज्य के विजयपुरा शहर में आयोजित सेमिनार में बयान दिया। यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। राष्ट्रीय सौहार्द वैदिक एवं अन्य संस्थाओं की ओर से आयोजित गोष्ठी का आयोजन गुरुवार को किया गया।

उन्होंने कहा, जो लोग दावा करते हैं कि मुसलमानों ने ऐसा किया है, उन्हें पता होना चाहिए कि भारत में मुस्लिम शासन का 700 साल का इतिहास क्या बताता है। उन्होंने कहा, मुगल बादशाह अकबर की पत्नी हिंदू बनी रही और वह इस्लाम में परिवर्तित नहीं हुई। अकबर ने अपने आंगन में एक कृष्ण मंदिर बनवाया था। लोग इसे अब भी देख सकते हैं।

उन्होंने आगे कहा, भगवान राम और भगवान कृष्ण, एक उपन्यास में सिर्फ पात्र हैं। वे ऐतिहासिक व्यक्तित्व नहीं हैं। सेवानिवृत्त न्यायाधीश ने आगे कहा कि सम्राट अशोक वास्तविक ऐतिहासिक व्यक्ति थे।वसंत मुलसवलागी ने कहा, उत्तराखंड में शिवलिंग पर बुद्ध की छवियों को चित्रित किया गया था। बौद्ध अनुयायियों ने इस संबंध में याचिका दायर की थी। यह कहा जाता है कि मंदिरों को मस्जिदों में परिवर्तित कर दिया गया है। मंदिरों के निर्माण से पहले सम्राट अशोक ने 84 हजार बुद्ध विहारों का निर्माण किया था। वे कहां गए। क्या इसे एक बड़ा मुद्दा बनाया जा सकता है? ।

उन्होंने कहा,संविधान के उद्देश्य स्पष्ट और सटीक हैं। लेकिन व्यवस्था संविधान के उद्देश्यों को पूरा करने में विफल हो रही है। युवा पीढ़ी को इस दिशा में सतर्क और सक्रिय होना चाहिए, ।उन्होंने कहा, 1999 में मंदिरों, चचरें और मस्जिदों को यथावत रखने के लिए एक कानून था। इसके बावजूद जिला अदालत ने इस संबंध में विरोधाभासी फैसला दिया है।उन्होंने कहा, हमें समकालीन परि²श्य के बारे में सोचना होगा। हमें पीछे नहीं हटना चाहिए। हमें अपनी आवाज सही तरीके से उठानी होगी।

एक अन्य सेवानिवृत्त न्यायाधीश अराली नागराज ने कहा कि सभी उम्मीदवारों को एक हलफनामा देना चाहिए कि चुनाव जीतने के बाद वे पार्टी नहीं बदलेंगे। उन्होंने कहा, इस तरह के कानून के गठन की आवश्यकता है। आजादी से पहले देश में देशभक्ति उच्च स्तर पर थी। वर्तमान में स्वार्थ हावी हो गया है।

 

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