कांग्रेस के खड़गे की साख और विपक्ष में धाक के साथ बीजेपी के हौंसले और जेडीएस के वर्चस्व की लड़ाई कर्नाटक चुनाव

विधानसभा चुनाव 2023 कांग्रेस के खड़गे की साख और विपक्ष में धाक के साथ बीजेपी के हौंसले और जेडीएस के वर्चस्व की लड़ाई कर्नाटक चुनाव

ANAND VANI
Update: 2023-05-01 13:18 GMT
कांग्रेस के खड़गे की साख और विपक्ष में धाक के साथ बीजेपी के हौंसले और जेडीएस के वर्चस्व की लड़ाई कर्नाटक चुनाव

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक को हर हाल में बीजेपी ,कांग्रेस और जेडीएस जीतना चाहता है। इन दलों का चुनाव जीतने पर अपना दांव और साख लगी हुई है। आखिरकार जानिए क्यों ये दल कर्नाटक में जीतने की आस लगाकर बैठे हुए है।

खड़गे की साख का सवाल

आपको बता दें कांग्रेस में गैर गांधी परिवार से इस बार पार्टी का अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे है, जो कर्नाटक से ताल्लुक रखते है। इस राज्य के होने के नाते जीत पर उनकी साख लगी हुई है। ऐसे में ये भी उम्मीद लगाई जा रही है कि कांग्रेस को इस कारण कुछ सियासी फायदा मिल सकता है। खड़गे दलित समाज से आते है और कर्नाटक में 19.5 फीसदी दलित वोट है,जो सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाते है। पिछले चुनावों में इस वर्ग के वोट बीजेपी की तरफ मुड़ गए थे, लेकिन इस बार खड़गे के कारण दलित वोट कांग्रेस की तरफ रूख कर सकता है। खड़गे के लिए ये चुनाव जीतना विपक्ष में धाक बनाने  के लिए भी जरूरी है। दक्षिण में कांग्रेस का वर्चस्व कम होता जा रहा है, कर्नाटक को जीतकर कांग्रेस अपने पैर मजबूत करना चाहेगी। क्योंकि केरल, तेलंगना और अंध्रप्रदेश में कांग्रेस के लिए हालफिलहाल कोई बड़ी संभावना नहीं है। जबकि तमिलनाडु में  कई दशक पहले ही कांग्रेस अपने वर्चस्व की जमीन गंवा चुकी है। 

बीजेपी के दक्षिण सफर का द्वार और जेडीएस का वर्चस्व
चूंकि कर्नाटक को दक्षिण भारत का प्रवेश द्वार माना जाता है। इसलिए कांग्रेस के साथ साथ बीजेपी इस राज्य को जीतने में अपनी पूरी ताकत लगा रही है। बीजेपी ने अपने सभी दिग्गज प्रचारकों को चुनावी मैदान  में झोंक दिया है। बीजेपी कर्नाटक को जीतकर दक्षिण के अन्य राज्यों में अपने पैर फैलाने के फिराक में है। क्योंकि कर्नाटक में सरकार बनाने के बाद भाजपा ने दक्षिण राज्यों के कई हिस्सों में अपना प्रसार किय है। कांग्रेस अगर हारती है तो वह दक्षिण भारत में हासिए पर चली जाएगी, जबकि बीजेपी अगर हारती है  तो उसके हौंसले डगमगाएंगे। इसलिए हर हाल में दोनों ही दल कर्नाटक को जीतने में पूरी दमखम से जुटे है। जबकि क्षेत्रीय पार्टी होने के नाते जेडीएस अपने वर्चस्व को बरकरार रखने के लिए कर्नाटक को जीतना चाहती है।

Tags:    

Similar News