नागपुर: 40 साल कांग्रेस में रहे चतुर्वेदी का बेटा शिवसेना से करेगा राजनीति की शुरुआत

नागपुर: 40 साल कांग्रेस में रहे चतुर्वेदी का बेटा शिवसेना से करेगा राजनीति की शुरुआत

Bhaskar Hindi
Update: 2019-06-22 18:22 GMT
नागपुर: 40 साल कांग्रेस में रहे चतुर्वेदी का बेटा शिवसेना से करेगा राजनीति की शुरुआत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सतीश चतुर्वेदी के पुत्र दुष्यंत ने शिवसेना के साथ राजनीतिक पारी शुरू करने की तैयारी कर ली है। दुष्यंत रविवार को मुंबई में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के निवास पर शिवसेना की सदस्यता लेंगे। आपको बता दें कि सतीश चुतुर्वेदी का परिवार 40 वर्षों से कांग्रेस के साथ जुड़ा रहा है। ऐसे में दुष्यंत के शिवसेना ज्वाइन करने के कई राजनीति मायने निकाले जा रहे हैं।

शिवसेना ने अभी तक दुष्यंत के पार्टी में शामिल होने की घोषणा नहीं की है। दुष्यंत के पिता सतीश चतुर्वेदी नागपुर ही नहीं महाराष्ट्र की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखते रहे हैं। कांग्रेस के हिंदी भाषी चेहरे के तौर पर उनकी पहचान रही है। अपने पिता की तरह दुष्यंत भी कई शिक्षा संस्थाओं से जुड़े रहे हैं

नागपुर से 5 बार विधानसभा सदस्य रहे सतीश चतुर्वेदी को 2009 में पूर्व नागपुर क्षेत्र में भाजपा के कृष्णा खोपड़े ने पराजित किया था। उसके बाद से चतुर्वेदी राजनीति में किनारे लगते रहे। शहर कांग्रेस में गुटबाजी में उनका नाम चर्चा में रहा। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण के साथ अंदरुनी मतभेद कुछ ऐसा बढ़ा कि चतुर्वेदी को कांग्रेस से निलंबित कर दिया गया।

चतुर्वेदी कहते रह गए कि वे कांग्रेस कार्यकर्ता के तौर पर ही राजनीति में सक्रिय रहेंगे, लेकिन उनका कांग्रेस में प्रवेश नहीं हो पाया। मुंबई से लेकर दिल्ली तक चतुर्वेदी गुट की पार्टी के भीतर ही जोरआजमाइस चलती रही। चतुर्वेदी की पत्नी आभा चतुर्वेदी भी मनपा की राजनीति में सक्रिय रही हैं। मनपा में स्थायी समिति की सभापति रहीं, लेकिन दुष्यंत अब तक प्रत्यक्ष राजनीति से दूर रहे हैं।

चतुर्वेदी जिस पूर्व और दक्षिण नागपुर से विधानसभा चुनाव लड़ते रहे हैं, उनमें भाजपा गठबंधन के तहत शिवसेना भी चुनाव लड़ती रही है। दुष्यंत विधानसभा चुनाव लड़ेंगे या नहीं यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है। इस मामले पर सतीश चतुर्वेदी ने कहा कि उन्होंने दुष्यंत को राजनीति में आने के लिए आशीर्वाद दिया है। दुष्यंत राजनीतिक तौर पर किसी भी तरह का निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं।

 

 

 

 

 

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