राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023: श्रीगंगानगर में देखने को मिलता है त्रिकोणीय मुकाबला, प्रत्याशी की जाति से तय होती है जीत

  • राजाओं के नाम पर पड़ा श्रीगंगानगर का नाम
  • जिले की 6 विधानसभा सीटों का इतिहास भी राजाओं से जुड़ा
  • दो सीट एससी और चार सामान्य सीट
  • पाकिस्तान से सटा जिला

ANAND VANI
Update: 2023-10-25 12:07 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। श्रीगंगानगर जिले में 6 विधानसभा सीट श्रीगंगानगर, श्रीकरणपुर,सादुलशहर,रायसिंह नगर,सूरतगढ़,अनूपगढ़ शामिल है। सामान्य सीटों में सादुलशहर, गंगानगर, करणपुर, सूरतगढ़ है जबकि रायसिंगनगर और अनूपगढ़ आरक्षित सीट हैं। राजस्थान के श्रीगंगानगर को 'राजस्थान का अन्नदाता' या 'राजस्थान का पंजाब' कहा जाता है, यहां की सीटों के नाम राजा-महाराजों के नाम से रखा गए थे, जिसकी वजह से इनके आदर के रूप में श्री लगाया जाने लगा। श्रीगंगानगर को राजस्थान की खाद्य टोकरी  भी कहा जाता है।

2018 के विधानसभा चुनावों में जिले की 6 विधानसभा सीटों में से 3 सीटों पर बीजेपी , 2 पर कांग्रेस और एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली थी।जिले की सभी छहों विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी चयन से लेकर उनकी जीत तक जाति और धर्म से तय होती है। पार्टियां भी हर बार जाति या धर्म विशेष को ही टिकट वितरण में तवज्जो देती आई हैं। जिले में मतदाताओं की बात की जाए तो सरदार बाहुल्य इलाके में सिखों को और आरक्षित सीट पर एससी वोटर्स की संख्या अधिकाधिक है।

श्रीगंगानगर विधानसभा सीट

2018 में निर्दलीय राजकुमार गौड़

2013 में जमींदारा पार्टी से कामिनी जिंदल

2008 में बीजेपी से राधेश्याम

2003 में बीजेपी से सुरेंद्र सिंह राठौड़

1998 में कांग्रेस से राधेश्याम

1993 में कांग्रेस से राधेश्याम

राजस्थान की श्रीगंगानगर विधानसभा सीट को अपवाद माना जाता है। यहां चुनावी धारा अन्य सीटों के विपरीत चलती है। गंगानगर का नाम गंगा सिंह के नाम पर पड़ा था. हालांकि इस सीट में गंगानगर के आगे श्री लगा दिया जाता है, जिसकी वजह से इसे श्रीगंगानगर कहते हैं। श्रीगंगानगर में किसानों के मुद्दें चुनाव में अहम भूमिका निभाते है। यहां किसान मतदाताओं की संख्या भी एक तिहाई है।

श्रीकरणपुर विधानसभा सीट

2018 में कांग्रेस से गुरमीत सिंह कूनर

2013 में बीजेपी से सुरेंदर पाल सिंह

2008 में निर्दलीय गुरमीत सिंह कुन्नर

2003 में बीजेपी से सुरेंदर पाल सिंह

1998 में कांग्रेस से गुरमीत सिंह कु्न्नर

यह क्षेत्र भारत-पाकिस्तान से सटा है और पहले इसके नाम रत्तीथेड़ी हुआ करता था। यह नाम भी गंगासिंह के पौते करणीसिंह के नाम पर रखा गया. आदर के लिए इस सीट के नाम के आगे भी श्री लगाया जाता है और इसका नाम श्रीकरणपुर हो गया है। गंगानगर जिले का श्रीकरणपुर विधानसभा क्षेत्र पाकिस्तान की सीमा से लगता इलाका है। यह क्षेत्र पंजाबी खासकर सिख और अरोड़ा बाहुल्य है, लिहाजा यहां की राजनीति इन्हीं पर केन्द्रित रहती है।

सादुलशहर विधानसभा सीट

2018 में कांग्रेस से जगदीश चंदेर

2013 में बीजेपी से गुरजंत सिंह

2008 में संतोष कुमार सहारण

महाराजा गंगा सिंह के छोटे पुत्र सादुल के नाम पर इस सीट का नाम सादुल शहर रखा गया है। 2018 के चुनाव में सादुलशहर सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी।यहां चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय नजर आता है। निर्दलीय प्रत्याशी यहां दोनों मुख्य पार्टियों को कड़ी टक्कर देते हुए नजर आता है। 2008 और 2018 में कांग्रेस और 2013 में बीजेपी को यहां से जीत मिली थी।

रायसिंह नगर विधानसभा सीट

2018 में बीजेपी से बलवीर लूथरा

2013 में एनयूजेड़पी से सोनादेवी

2008 में कांग्रेस से दौलत राज

2003 में बीजेपी से लालचंद

बीकानेर के छठे महाराजा रायसिंह के नाम पर रायसिंह नगर रखा गया। रायसिंह नगर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। पेयजल और सिंचाई पानी की समस्या हमेशा बनी रहती है। शिक्षण संस्थाओं और चिकित्सा सुविधाओं की कमी है, आवारा पशु किसानों की फसल बर्बाद कर जाते है। एससी के लिए रिजर्व रायसिंहनगर विधानसभा सीट पर किसी भी पार्टी की मजबूत पकड़ नहीं रही है। यहां एससी मतदाताओं की संख्या करीब 45 फीसदी है।

1990 से लेकर अब तक हुए 7 चुनाव में 3 बार बीजेपी , 2 बार कांग्रेस और एक बार जनता दल को जीत मिली। इसके अलावा नेशनल यूनियनिस्ट जमींदारा पार्टी (NUZP) को भी एक बार जीत मिल चुकी है। 

सूरतगढ़ विधानसभा सीट

2018 में बीजेपी से रामप्रताप

2013 में बीजेपी से राजेंदर सिंह

2008 में कांग्रेस से गंगाजल

2003 में बीजेपी से नागपाल

महाराजा सूरत सिंह के नाम पर इसका नाम सूरतगढड रखा गया। सूरतगढ़ में बीएसपी भी मजबूत स्थिति में होती है यहां बीएसपी बीजेपी और कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ा कर देती है। यहां जाट मतदाता निर्णायक भूमिका में होते है। 

अनूपगढ़ विधानसभा सीट

2018 में बीजेपी के प्रत्याशी संतोष बावरी

2013 में बीजेपी की शिमला बावरी

2008 में सीपीएम से पनव कुमार दुग्गल

अनूपगढ़ विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। 2018 के चुनाव में यहां बीजेपी प्रत्याशी की जीत हुई थी। औरंगजेब के शासक अनूप सिंह ने गढ़ का निर्माण किया, उसके नाम पर ही अनूपगढ़ नाम रखा गया। अनूपगढ़ में पानी की समस्या सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है। 2008 में अस्तित्व में आई अनूपगढ़ विधानसभा सीट पर अब तक तीन बार चुनाव हुआ है, तीनों बार यहां कांग्रेस को हार झेलनी पड़ी है। कांग्रेस को यहां जीत की बेसब्री से इंतजार है।

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