नागपुर में 518 बालक कुपोषित, हिंगना तहसील में सर्वाधिक

नागपुर में 518 बालक कुपोषित, हिंगना तहसील में सर्वाधिक

Anita Peddulwar
Update: 2021-06-18 09:51 GMT
नागपुर में 518 बालक कुपोषित, हिंगना तहसील में सर्वाधिक

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कुपोषण की समस्या थमने का नाम नहीं ले रही है। बालकों के पोषण आहार पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद कुपोषण गंभीर समस्या बनी हुई है। अप्रैल-2021 की रिपोर्ट के अनुसार, जिले के ग्रामीण क्षेत्र में 518 बालक कुपोषण के शिकार हैं, जिसमें 434 मध्यम तीव्र और 84 अतितीव्र कुपोषित हैं। हिंगना तहसील में मध्यम तीव्र कुपोषित 48 और अतितीव्र कुपोषित 15 बालक हैं। अन्य तहसील के मुकाबले हिंगना तहसील में कुपोषण का प्रमाण सर्वाधिक है।

जिले में 2425 आंगनवाड़ियां
जिले के ग्रामीण क्षेत्र में 2425 आंगनवाड़ियां हैं, जिसमें आंगनवाड़ी केंद्र की संख्या 2161 और मिनी आंगनवाड़ियां 264 हैं। आंगनवाड़ियों के माध्यम से 5 वर्ष से कम आयुवर्ग के बालकों को पोषण आहार दिया जाता है। हर महीने उनका वजन लेकर रिकार्ड रखा जाता है। 1 लाख, 38 हजार 251 लाभार्थी बालक हैं।

9884 बालकों का वजन कम
 महिला व बाल विकास विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-2021 में 1 लाख, 37 हजार 371 बालकों का वजन किया गया। 1 लाख्र 27 हजार 507 बालकों का वजन सामान्य रहा, जबकि 9884 बालकों का वजन अपेक्षा से कम भरा। कम वजन के बालकों का दो हिस्सों में वर्गीकरण किया गया है। कम वजन वाले बालक 8726 और तीव्र कम वजन वाले बालक 1138 हंै। 

कुपोषण कम करने दिया जाता है पोषण आहार
कुपोषण कम करने के लिए अांगनवाड़ियों में बच्चों को ठंडा-गरम आहार दिया जाता है। गरम आहार में खिचड़ी, मूंग, मोठ, चना पकाकर खिलाया जाता है। ठंडा पोषण आहार में टीएचआर पाउडर दी जाती है। लॉकडाउन के कारण डेढ़ वर्ष से आंगनवाड़ियों में गरम आहार बंद है। दो महीने में एक बार पालकों को बुलाकर पोषण आहार सामग्री घर ले जाने के लिए दी जा रही है।

नहीं मिल रहा पूरक पोषण आहार
पोषण आहार सामग्री घर ले जाने के लिए दिए जाने से बालकों को पूरक पोषण आहार नहीं मिल रहा है। दरअसल बालक आंगनवाड़ी में जाने से पहले घर में भोजन करते हैं। आंगनवाड़ी में उन्हें पूरक पोषण आहार मिलता है। आंगनवाड़ियां बंद रहने से बालकों को पूरक पोषण आहार नहीं मिल रहा है, जिसका बालकों के पोषण पर असर पड़ रहा है।

फिलहाल पहले से कुपोषण कम 
पहले के मुकाबले कुपोषण कम हुआ है। इस समस्या को पूरी तरह खत्म करने के लिए विविध उपाय योजनाएं की जा रही हैं।
-भागवत तांबे, जिला महिला व बाल विकास अधिकारी, जिला परिषद

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